scorecardresearch
 

नए साल में एशिया की ये पांच घटनाएं बजाती रहेंगी खतरे की घंटी

वैश्विक कारोबार में जहां भारत और चीन की प्रतिद्वंदिता कायम है, दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया विवाद से पूरी दुनिया के सामने युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. इनके अलावा एशिया वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद के केन्द्र में भी मौजूद है. ऐसी स्थिति में एशिया के घटनाक्रम का पूरी दुनिया पर असर पड़ना तय है.

Advertisement
X
चीन और भारत के लिए खास है 2018
चीन और भारत के लिए खास है 2018

Advertisement

साल 2017 के दौरान दुनियाभर में हुए घटनाक्रम के मुताबिक एशिया बेहद अहम रहा. दुनिया की लगभग 60 फीसदी जनसंख्या और वैश्विक जीडीपी के आधार पर लगभग दुनिया की एक तिहाई अर्थव्यवस्था पर एशिया काबिज है. दुनिया की तेज भागने वाली अर्थव्यवस्थाओं में कई एशिया से हैं जिनमें भारत और चीन शामिल है.

वहीं वैश्विक कारोबार में जहां भारत और चीन की प्रतिद्वंदिता कायम है, दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया विवाद से पूरी दुनिया के सामने युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. इनके अलावा एशिया वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद के केन्द्र में भी मौजूद है. ऐसी स्थिति में एशिया के घटनाक्रम का पूरी दुनिया पर असर पड़ना तय है. लिहाजा जानिए 2017 के ऐसे अहम घटनाक्रम जिनका असर 2018 में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है.

1. उत्तर कोरिया मिसाइल कार्यक्रम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जॉन्ग उन ने 2017 के दौरान आपसी संघर्ष को तेज किया है. साल के दौरान उत्तर कोरिया ने कम से कम 15 बार न्यूक्लियर टेस्ट करते हुए ट्रंप द्वारा संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को और कड़ा किए जाने को धता किया. वहीं फरवरी 2017 में किम जॉन्ग के भाई की मलेशिया में हत्या के बाद साफ हो गया कि उसका उत्तर कोरिया का वर्चस्व दूसरे मुल्कों में भी है. वहीं 2017 के दौरान कोरिया विवाद में चीन की भूमिका भी किम जॉन्ग के पक्ष में रही जिसके चलते 2018 में यह विवाद और गंभीर रूप ले सकता है.

Advertisement

इसे भी पढ़ें: YEAR ENDER: 2017 में इकोनॉमी का बैरोमीटर, दे रहा सटीक जायजा

2. चीन का आर्थिक विस्तार

चीन में जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार 2017 के दौरान 7 फीसदी के आसपास सीमित हो चुकी है इसके बावजूद बतौर आर्थिक शक्ति चीन अपना विस्तार कर रहा है. 2017 के दौरान चीन ने हाई ग्रेड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अहम उपलब्धी हासिल करते हुए अपने ध्यान वैश्विक निवेश के क्षेत्र में केन्द्रित किया है. इस दौरान चीन ने अपने वन बेल्ट बन रोड परियोजना के तहत पूरे एशिया को एकीकृत करने की दिशा में भी अहम छलांग लगाई है. इसके साथ ही चीनी कंपनियों ने कई एशियाई देशों में अपना निवेश बढ़ाया है जिसमें पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल है. 2017 में आर्थिक विस्तार की इन कोशिशों का असर कई एशियाई देशो पर देखने को मिलेगा जहां वह चीन के निवेश के चलते वैश्विक राजनीति में चीन के दबाव में आ सकते हैं.

3. भारत चीन संबंधो में उतार-चढ़ाव

साल 2017 में एशिया के दो बड़े देश चीन और भारत में लगभग 75 दिनों तक सरहद पर खींचतान चली. भारत और चीन के सरहद विवाद का यह नया क्षेत्र भूटान सीमा पर डोकलाम में देखने को मिला. इस विवाद के बाद भी नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग की सितंबर में हुई मुलाकात ने दोनों देशों के आपसी रिश्तों को ट्रैक पर लाने का काम नहीं कर सकी. पूरी दुनिया की तरह भारत की नजर भी चीन द्वारा विकसित किए जा रहे एयरक्राफ्ट कैरियर और खास सीप्लेन पर टिकी है जिसके जरिए उसकी कोशिश एक सख्त सैन्य नीति पर चलने की है. सरहद विवाद के अलावा एशिया के दोनों देश दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था भी हैं और दोनों के कारोबारी रिश्ते भी अपने न्यूनतम स्तर पर हैं. 2018 के दौरान जहां चीन की कोशिश भारत को आर्थिक तौर पर दबाने की होगी वहीं भारत की कोशिश अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिय जैसे देशों के साथ मिलकर एशिया क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने की होगी.

Advertisement

इसे भी पढ़ें: 2017 में निवेशकों के नाम रहा शेयर मार्केट, सेंसेक्स ने 28 तो निफ्टी ने दिया 32 फीसदी रिटर्न

4. जापान में नया सूरज

जनवरी 2017 में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की कमान संभालने के बाद देश को ट्रांस पैसेफिक फ्री ट्रेड समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया. यह समूह दुनिया की 40 फीसदी जीडीपी पर कब्जा रखता था और इससे अमेरिका के बाहर होने से इस समूह का नेतृत्व जापान के पास आ गया. आर्थिक मामलों के जानकारों का दावा है कि इसके चलते एक बार फिर वैश्विक स्तर पर जापान को नईं उंचाइयां छूने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा बीते एक साल के दौरान शिंजो अबे के नेतृत्व में जापान ने अपनी सेना को मजबूत करने के साथ-साथ दुनिया की सातवी मजबूत सेना में तब्दील कर दिया है. जापान में हो रहे ये बदलाव 2018 के दौरान उसे एशिया क्षेत्र में एक बड़े प्लेयर के तौर पर स्थापित कर सकता है जिसका सीधा असर चीन के प्रभाव पर पड़ने की उम्मीद है.

5. इस्लामिक स्टेट और रोहिंग्या

जहां साल 2016 के दौरान दक्षिणपूर्व एशियाई देशों ने बढ़ती संपदा के चलते रीटेल खपत में बड़ा इजाफा कर वैश्विक स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी. वहीं 2017 के दौरान इस क्षेत्र से 6 लाख रिहिंग्या मुसलमानों के निष्कासन ने अबतक के सबसे बड़े माइग्रेशन समस्या को सामने रखा. इन रोहिंग्या मुसलमानों को निकालनेवाले म्यांमार का दावा है कि वह अपने क्षेत्र में शांति की पहल के चलते इन्हें अपने देश में नहीं रहने दे सकता है. इसके अलावा इसी साल इस्लामिक स्टेट संगठन ने मलेशिया और इंडोनेशिया में आतंकी समूह को समर्थन देकर लगभग 2 लाख जनसंख्या वाले शहर पर कब्जा करने का काम किया. इस घटना से एशिया के इस क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव सामने आया को खतरा 2018 के लिए बढ़ गया है. वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अब 2018 में एक नया क्षेत्र जुड़ जाएगा.

Advertisement
Advertisement