भारतीय शेयर बाजार घरेलू कारणों से पहले ही दबाव में था, जिसे ग्लोबल चुनौतियों ने और बढ़ा दिया है. पिछले दो दिनों से अमेरिकी बाजार में गिरावट, क्रूड की बढ़ती कीमत और ग्रीस के गहराते संकट के कारण बाजार लगभग धराशायी हो गया. बुधवार के सत्र में भारी बिकवाली के चलते भारतीय शेयर बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली.
मुंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 722 अंकों की गिरावट के साथ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. बुधवार के सत्र में भारी बिकवाली के चलते भारतीय शेयर बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 26717 के स्तर पर और निफ्टी 227 अंकों की गिरावट के साथ 8097 के स्तर पर बंद हुआ. दोनों ही सूचकांकों के लिहाज से यह इस साल का सबसे निचला स्तर है. निफ्टी ने 7 जनवरी के बाद पहली बार 8100 के अहम स्तर को तोड़ा है.
गिरावट के 5 प्रमुख कारण:
अमेरिका और यूरोप के बाजार लुढ़के
अमेरिकी और यूरोपीय के बाजारों में बिकवाली से भारतीय बाजार पर दबाव की स्थिति बनी है. अमेरिका में मंगलवार को आए कमजोर आर्थिक आंकड़ों से डाओ जोंस में बड़ी गिरावट दर्ज हुई थी.
ग्रीस संकट पर असमंजस
ग्रीस संकट ने भी बाजारों पर भारी दबाव बनाया. बेलआउट को लेकर बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं दिख रही है. आईएमएफ और यूरोपियन यूनियन के बीच इस संकट पर तकरार बरकरार है.
कच्चे तेल कीमतें बढ़ने से बेचैनी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में उछाल आने से भी बाजार में भारी गिरावट है. नायमैक्स और ब्रेंट क्रूड साल की नई ऊंचाई पर पहुंच गया है. कीमतों में तेजी आने से निवेशकों का रुझान फिर से कमोडिटी की ओर बढ़ने लगा है, जिसकाअसर ग्लोबली शेयर बाजारों पर देखने को मिल रह है.
सरकार के फैसलों से एफआईआई निराश
मोदी सरकार के कदमों से विदेशी संस्थागत निवेशकों का माहौल लगातार खराब हो रहा है. पहले मैट का विवाद अब वित्त विधेयक में टैक्स की परिभाषा बदलने से कंपनियों पर निगेटिव सेंटिमेंट बनना तय है.
संसद में प्रमुख विधेयक लटके
बाजार विश्लेशकों का मानना है कि संसद सत्र खत्म हो जाने के बाद बाजार को ड्राइव करने के लिए पॉजिटिव ट्रिगर मौजूद नहीं है. सरकार ने जीएसटी बिल को विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा से पारित करा लिया है लिहाजा बाजार पर अब इसका भी असर पड़ने की उम्मीद नहीं है.
क्या करें निवेशक
सैबियो कैपिटल की फंड मैनेजर गर्विता चावला का मानना है कि भारतीय बाजार में गिरावट का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्रीस को लेकर गहराता असमंजस है. साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी के चलते भी बाजार में बिकवाली देखने को मिल रही है. गर्विता के मुताबिक मई का महीना शेयर बाजार के लिहाज से अक्सर सुस्त ही रहता है. संसद सत्र खत्म होने के बाद मानसून के अलावा बाजार के लिए कोई बड़ा ट्रिगर भी नहीं है. ऐसे में आने वाले दिनों में भी बाजार में किसी बड़ी तेजी की उम्मीद लगाना गलत होगा. आने वाले दिनों में बाजार एक दायरे में ही कारोबार करता दिखाई दे सकता है. हालांकि बाजार की गिरावट में निचले स्तर पर मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों में निवेश करना अच्छी रणनीति होगी.