गुजरात चुनावों में बीजेपी को मिला बहुमत अगर कांग्रेस को जीत का अनुभव दे रहा है तो खुद बीजेपी को इससे अहम चेतावनी मिल रही है. केंद्र में मौजूदा मोदी सरकार को 2019 में नए कार्यकाल के लिए वोट मांगने हैं. गुजरात चुनावों में विपक्ष ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को मुद्दा बनाकर बीजेपी की जीत को रोकना चाहा. उसे सफलता तो नहीं मिली लेकिन बीजेपी छठी बार सरकार बनाने के लिए 99 सीट से ज्यादा नहीं जुटा पाई.
साफ है कि गुजरात के नतीजों में बीजेपी के लिए सबक छुपा है कि 2019 में उसे मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा. लिहाजा महज आर्थिक सुधार और विकास के मंत्र से चुनावी नैया पार नहीं होगी. ऐसी स्थिति में ये पांच मुद्दे बीजेपी के लिए 2019 का चुनावी एजेंडा हो सकते हैं.
1. राम मंदिर
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराना बीजेपी का सबसे पुराना चुनावी वायदा है. चुनाव विधानसभा का हो या लोकसभा का इस मुद्दे ने बीजेपी को लगातार सहारा दिया है. इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालकर, देश को विकास की नई दिशा देने का वादा करके नरेंद्र मोदी 2014 में बीजेपी के शीर्ष पर पहुंचे. लेकिन 2019 में भी ये मुद्दा ठंडे बस्ते में रहेगा ऐसा लगता नहीं है. अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट फरवरी से रोज सुनवाई करने वाला है. कोर्ट का कोई भी फैसला इस मुद्दे को कभी भी भारतीय राजनीति के केंद्र में ला सकता है. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी इसके सहारे 2019 के चुनावों में अपने पक्ष में हवा बनाने के चूकेगी नहीं.
2. ट्रिपल तलाक
केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर कानून की रूपरेखा तैयार कर ली है. प्रधानमंत्री मोदी ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर कह रहे हैं कि ये धार्मिक मामला नहीं बल्कि महिलाओं के अधिकार से जुड़ा मसला है और इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए. ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर जिस तरह से मुस्लिम संगठनों से जुड़े लोग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं उससे लगता नहीं कि ये मामला इतनी शांति से आगे बढ़ेगा. यानी जिस अहम मुद्दे को राजनीति से परे रखने की अपील खुद प्रधानमंत्री कर रहे हैं, वही मुद्दा राजनीति के केंद्र में आ सकता है. अगर इस मुद्दे पर कोई ध्रुवीकरण हुआ तो बीजेपी को उसका फायदा मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता. चुनाव में ऐसा ध्रुवीकरण अंततः नतीजों को बीजेपी के पक्ष में ही ले जाएगा.
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3. दाऊद से हाफिज सईद
भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय रिश्ते देश के प्रत्येक चुनाव में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर जाना, बिहार चुनावों में बीजेपी की जीत पर पाकिस्तान में पटाखे फोड़ने की बात कहना या फिर गुजरात चुनावों में भी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ये दावा करना कि कांग्रेस ने पाकिस्तान को उनके नाम की सुपारी दी है, असर दिखाते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुए हर चुनाव में पीएम मोदी ने इस स्ट्राइक पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस को मंच से निशाने पर लिया है. इसका जो असर हुआ है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनावों में भी पाकिस्तान, दाऊद इब्राहिम या हाफिज सईद जैसे आतंकियों से जुड़े मुद्दे चर्चा के केंद्र में होंगे.
4. आरक्षण का जिन्न
गुजरात चुनावों में जिस मुद्दे ने राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को सबसे ज्यादा परेशान किया वह है राज्य में पटेलों के आरक्षण की मांग. आरक्षण ऐसा मुद्दा है जो बीजेपी को 2019 में भी झटका दे सकता है क्योंकि राजस्थान और हरियाणा में भी जातिगत आरक्षण की ऐसी ही मांग गुर्जरों-जाटों द्वारा की जा रही है. बीजेपी को 2019 के चुनावों से पहले इसपर कोई ठोस निर्णय लेना होगा. आरक्षण के इस जिन्न को बाहर निकालना या बोतल में बंद रखे रहने देने का फैसला नतीजों पर सीधा असर डाल सकता है.
5. आर्थिक सुधार का अगला क्रम बेनामी संपत्ति
बीजेपी ने 2014 में भ्रष्टाचार और विदेश में पड़े कालेधन के मुद्दे को साधकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था. इन्हीं मुद्दों पर दांव खेलते हुए मोदी सरकार ने जब नोटबंदी का ऐलान किया तो उसे कालेधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की संज्ञा दी. इस फैसले से बीजेपी ने साफ संदेश दिया कि वह भ्रष्टाचार और कालेधन के विरोध में खड़ी है और इसका फायदा उसने कई राज्यों के चुनाव में उठाया भी. लेकिन 2019 तक बीजेपी के लिए नोटबंदी पुराना मामला हो जाएगा. ऐसी स्थिति में उसे नए आर्थिक सुधार की जरूरत पड़ेगी जिससे उसका वोट बैंक मजबूत हो सके. लिहाजा, बीजेपी अब बेनामी संपत्ति पर स्ट्राइक के सहारे 2019 के चुनावों में भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे को केंद्र में रखकर नतीजा अपने पक्ष में करने की कवायद कर सकती है.