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वामपंथी श्रमिक संगठनों ने खारिज की सरकार की अपील, कहा- 2 सितंबर को हड़ताल करेंगे

सरकार ने आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से मिलकर न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये मंजूर कर 2 सितंबर को प्रस्तावित हड़ताल न करने की अपील कर दी, लेकिन वाम दलों से जुड़े श्रमिक संगठन अब भी हड़ताल करने पर आमादा हैं.

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सरकार ने मजदूर संगठनों से 2 सितंबर की हड़ताल न करने की अपील की थी
सरकार ने मजदूर संगठनों से 2 सितंबर की हड़ताल न करने की अपील की थी

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सरकार ने आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से मिलकर न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये मंजूर कर 2 सितंबर को प्रस्तावित हड़ताल न करने की अपील कर दी, लेकिन वाम दलों से जुड़े श्रमिक संगठन अब भी हड़ताल करने पर आमादा हैं.

सीटू के महासचिव तपन सेन के मुताबिक अव्वल तो हमें बातचीत के लिए बुलाया ही नहीं गया. सभ्य समाज में ऐसा नहीं होता. पहले भी हम ट्रेड यूनियन आसपास में मतभेद रखते थे पर मजदूर विरोधी नीतियों पर हमारा विरोध एकजुट होता था. मोदी सरकार ने पहली बार बीएमएस को छिटक दिया है. हंसी की बात है कि जिस संगठन बीएमएस ने हड़ताल का आह्वान ही नहीं किया वो सरकार से सांठ-गांठ कर हड़ताल स्थगित करने की बात बोल रहा है. ये तो अनुचित है.

सेन ने कहा कि हमारी 12 मांगें हैं. सरकार 8 मांगों की बात कर रही है और 6 मांगें मान लेने की बात का ढिंढोरा पीट रही है. तो न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 तो बरसों पहले स्वीकृत अधिनियम से आधी है. चार्टर के मुताबिक कम से कम 18 हजार रुपये महीना किसी भी श्रमिक को मिलने ही चाहिए. लेकिन सरकार 9100 रुपये महीना पर ही अच्छे दिनों की बात कर रही है. सरकार ने मजदूरों की सुविधाओं में इजाफे पर भी कंक्रीट कुछ नहीं कहा. सरकार जब तक हमारी 12 मूलभूत मांगें मान कर ईमानदारी से अमल नहीं करेगी, हमारा विरोध जारी रहेगा.

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