साल 2013-14 का आम बजट वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने भले ही संसद में पेश किया है लेकिन इसे लेकर बिहार की राजनीति गरम होने लगी है. मुख्यमंत्री ने इस बजट की न केवल प्रशंसा की है, बल्कि वित्त मंत्री को बधाई तक दी है. दूसरी ओर राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बजट को निराशाजनक करार दिया है.
राजनीति के जानकार इसे भावी राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं. केंद्रीय बजट में बिहार के आम लोगों के लिए कोई विशेष फायदे की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन केंद्रीय वित्तमंत्री ने विशेष राज्य के दर्जे के मापदंड में परिवर्तन करने का प्रस्ताव देकर मुख्यमंत्री नीतीश का दिल अवश्य जीत लिया है.
नीतीश कहते हैं कि बजट भाषण और आर्थिक सर्वेक्षण में विशेष राज्य का दर्जा के लिए वर्तमान मापदंड में बदलाव की बात कही गई है जो यह साबित करता है कि बिहार की बातों को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है. यह पूरे बिहार के लोगों की सैद्धांतिक जीत है. चिदंबरम इसके लिए बधाई के पात्र हैं.
नीतीश कुमार ने आशा व्यक्त की है कि इस घोषणा को जल्द ही अमलीजामा भी पहनाया जाएगा. नीतीश ने हालांकि चिदंबरम की तारीफ का राजनीतिक समीकरण से रिश्ता नकारते हुए कहा कि इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकालना चाहिए. यह घोषणा बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के विकास का रास्ता खोलने वाला है.
इधर, बिहार की सतारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की मुख्य घटक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बजट को निराशाजनक कहा है.
वे कहते हैं कि हमें इस बजट से केवल और सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है. इस बजट से बिहार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि बिहार के बजट में अब राशि के वितरण को लेकर बहुत सी समस्याएं खड़ी हो गई हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए और अधिक बजट की जरूरत थी.
राज्य की राजनीति हो या देश की राजनीति ऐसा बहुत कम ही मौका आया है जब मुख्यमंत्री के बयान से उप मुख्यमंत्री का बयान उलट नजर आया हो. राजनीति के जानकार भी कहते हैं कि जब भी बीजेपी के किसी नेता ने मुख्यमंत्री के बयान के खिलाफ कोई टिप्पणी कर की है तो उस खाई को भी मोदी ने पाटने की कोशिश की है. ऐसे में मोदी का बयान कई मायने रखता है.
कांग्रेस और मुख्यमंत्री दोनों जानते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आसान नहीं है. आज नीतीश को छोड़कर किसी भी विपक्षी नेता ने बजट की प्रशंसा नहीं की है. इस मुद्दे को लेकर नीतीश और कांग्रेस दोनों राजनीति कर रहे हैं. कांग्रेस नीतीश को बीच-बीच में मिठी गोली देकर मुद्दे को गरमा देती है.
यह मुद्दा बिहार की राजनीति में अगामी समय में गहरा असर डाल सकता है.