केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार पर चिंता जताते हुए इस वित्त वर्ष के लिए आम बजट पेश किया. उन्होंने अगले तीन-चार साल में 7-8 फीसदी विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा. उन्होंने कहा, ‘भारत की जनता ने बदलाव के लिए निर्णायक वोट दिया है. मेरे द्वारा बजट में उठाए गए कदम का लक्ष्य अगले तीन-चार सालों में विकास दर को सात-आठ फीसदी तक पहुंचाना, महंगाई कम करना, वित्तीय घाटा को कम करना और चालू खाता घाटा को कम करना है.’
जेटली ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति, कम विकास दर और कर संग्रह में वृद्धि की धीमी रफ्तार को देखते हुए उनके पूर्ववर्ती वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा रखा गया जीडीपी के 4.1 फीसदी वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना एक 'मुश्किल' काम था. उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैंने इस लक्ष्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकारने का फैसला किया.’
उन्होंने कहा कि वह अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.6 फीसदी और उसके बाद तीन फीसदी तक कम करने की कोशिश करेंगे.
उन्होंने कहा कि देश को लोकप्रियतावाद और अनिर्णय की स्थिति के कारण नुकसान में नहीं छोड़ा जा सकता है. विनिर्माण और अधोसंरचना क्षेत्र में तेजी लाने की अत्यधिक जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘हम बैंकों को अधिक स्वायत्तता देने पर भी विचार करेंगे.’
वित्त मंत्री ने कहा कि मानसून कमजोर रहने की आशंका और इराक संकट, सरकारी वित्त और मुद्रास्फीति दोनों के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने के लिए स्थिति पर कड़ी नजर रखी जाएगी.
जेटली ने कहा, ‘वित्तीय स्थायित्व आर्थिक विकास में तेजी का आधार है.’
जेटली ने जल्द ही पूरे देश में वस्तु एवं सेवा कर लागू करने का वादा किया. उन्होंने साथ ही वादा किया कि कर व्यवस्था को ऐसा बनाया जाएगा कि उसके बारे में कुछ भी भरोसे के साथ अनुमान लगाया जा सके.
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में महंगाई पर नियंत्रण, रोजगार सृजन और विकास की रफ्तार बढ़ाने तीन प्रमुख चुनौतियां बताई गई हैं और इसके साथ ही सुधार के नए कदम उठाने का सुझाव दिया गया है.
आम बजट में घोषित योजनाओं में प्रमुख हैं स्किल इंडिया कार्यक्रम, राष्ट्रीय सिंचाई योजना और एक अरब डॉलर निवेश के साथ एक स्मार्ट सिटी.
बजट में किसानों को उनकी फसल की सही कीमत दिलाने, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तर्ज पर चार और संस्थान बनाने, जनकल्याण के लिए और राशि, सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर कई नए हवाईअड्डे बनाने, पांच वर्षों में पूरे देश में शौचालय सुविधा, बैंकों को अधिक स्वायत्तता और सरकारी कंपनियों द्वारा अधिक निवेश जैसी योजनाओं की भी घोषणा की गई.