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HDFC में चीनी बैंक द्वारा हिस्सेदारी खरीदने पर सोशल मीडिया में हंगामा, जानें क्या है सच्चाई

'एचडीएफसी बैंक' में चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) द्वारा क​थित रूप से हिस्सेदारी खरीदने पर सोशल मीडिया पर इतना हंगामा बरपा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक को ट्वीट करना पड़ा. हालांकि, इस मामले में सच्चाई कुछ और ही है.

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चीन के केंद्रीय बैंक ने एचडीएफसी में खरीदी है हिस्सेदारी
चीन के केंद्रीय बैंक ने एचडीएफसी में खरीदी है हिस्सेदारी

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  • HDFC बैंक में चीनी हिस्सेदारी को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा
  • राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार से सचेत रहने को कहा
  • चीन के केंद्रीय बैंक ने एचडीएफसी में खरीदी है हिस्सेदारी
  • स्वदेशी जागरण मंच ने भी उठाए इस शेयर बिक्री पर सवाल

भारत के 'एचडीएफसी बैंक' में चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) द्वारा क​थित रूप से हिस्सेदारी खरीदने पर रविवार को सोशल मीडिया पर जमकर हंगामा हुआ. इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक को ट्वीट कर यह कहना पड़ा कि सरकार भारतीय कंपनियों को विदेशी हाथों में जाने से रोके. आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला और इसमें कितनी है सच्चाई.

असल में चीन के केंद्रीय बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने भारत की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचडीएफसी) में मार्च तिमाही में कुल 1.01 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है.

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एचडीएफसी बैंक नहीं, यह अलग कंपनी है

असल में एचडीएफसी बैंक और हा​उसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचडीएफसी) अलग कंपनियां हैं. एचडीएफसी असल में एचडीएफसी बैंक की मूल कंपनी है, लेकिन अब दोनों अलग-अलग कॉरपोरेट ईकाई हैं. एचडीएफसी में शेयर खरीदने का मतलब यह नहीं कि एचडीएफसी बैंक में किसी ने हिस्सेदारी खरीदी है. इसलिए इस मामले में सोशल मीडिया पर जताई जा रही चिंता बेवजह और जानकारी के अभाव में है.

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सिर्फ 1.01 फीसदी है हिस्सेदारी

बीएसई को दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की अंतिम यानी मार्च तिमाही में चीन के केंद्रीय बैंक की एचडीएफसी में हिस्सेदारी 1.75 करोड़ शेयरों की हो गई. हालांकि एचडीएफसी में मार्च 2019 तक भी पीबीओसी की 0.8 फीसदी हिस्सेदारी थी. इसका मतलब यह है कि एक साल में चीनी बैंक की एचडीएफसी में हिस्सेदारी महज 0.21 फीसदी बढ़ी है. यह शेयर बढ़ने के बाद भी एचडीएफसी में चीनी केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी महज 1.01 फीसदी है.

गौरतलब है कि एचडीएफसी में पहले से ही कई विदेशी कंपनियों या संस्थाओं की इससे ज्यादा हिस्सेदारी है. इनमें इनवेस्को ओपनहीमर डेवलपिंग मार्केट फंड (3.33 फीसदी), सिंगापुर सरकार (3.23 फीसदी) और वैनगॉर्ड टोटल इंटरनेशनल स्टॉक इंडेक्स फंड (1.74 फीसदी) शामलि हैं.

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भारत के बड़े हिस्सेदारों की बात करें तो आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की इसमें 1.20 फीसदी हिस्सेदारी है. इसमें सबसे बड़ी (कुल 9.52 फीसदी) हिस्सेदारी 37 म्यूचुअल फंडों की है. हर तिमाही के बाद लिस्टेड कंपनियों को एक्सचेंज को यह जानकारी देनी होती है कि उसके शेयरधारकों में 1 फीसदी से ज्यादा शेयर किसके हैं.

सोशल मीडिया पर हंगामा बरपा

इस खबर के आते ही रविवार को सोशल मीडिया पर खूब हंगामा काटा गया. इतनी ज्यादा चर्चा होने लगी कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन को ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से यह अनुरोध करना पड़ा कि वे भारतीय संस्थाओं का स्वामित्व विदेशी हाथों में न जानें दें.

इस बारे में ज्यादातर लोगों को भ्रम रहा कि चीनी बैंक ने एचडीएफसी बैंक की हिस्सेदारी खरीदी है. बॉलीवुड एक्टर एजाज खान ने ट्वीट कर कहा कि एचडीएफसी बैंक में चीन के केंद्रीय बैंक ने हिस्सेदारी खरीद ली है.

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राहुल गांधी ने क्या कहा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार शाम को इस बारे में ट्वीट कर कहा कि देश में आर्थिक सुस्ती से भारतीय कॉरपारेट कंपनियां काफी कमजोर हुई हैं, इसी वजह से वे टेकओवर के लिए निशाना बन रही हैं. सरकार को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए कि कोई विदेशी कंपनी इस संकट के दौर में किसी भारतीय कंपनी पर अधिकार हासिल करे.

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स्वदेशी जागरण मंच ने क्या कहा

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने भी ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से यह अनुरोध किया कि वे भारतीय संस्थाओं का स्वामित्व विदेशी हाथों में न जानें दें.

बड़ी गिरावट का उठाया फायदा

असल में कमजोर सेंटिमेंट की वजह से मार्च तिमाही में एचडीएफसी के शेयरों में 32.29 फीसदी की गिरावट आई है. गुरुवार को कारोबार बंद होने तक एचडीएफसी के शेयर ​करीब 1702 रुपये पर बंद हुए. जनवरी में इस शेयर का कारोबार 2500 रुपये के आसपास चल रहा था.

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