अमेरिका ने मोदी सरकार के कारोबार समर्थक सुधारों का समर्थन किया है लेकिन इसके साथ ही गैर सरकारी संगठनों के समक्ष आ रही कठिनाइयों पर चिंता जताई है.अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि भारत में विदेशी कंपनियों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में उठाए जा रहे कदमों का अमेरिका समर्थन करता है.
टोनर ने माना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारोबार समर्थक सुधारों सहित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उनकी प्रतिबद्धता के साथ ही उनके सार्वजनिक बयानों, कारोबार करने में सहूलियत संबंधी विश्व बैंक की रिपोर्ट में भारत की स्थिति बेहतर होना- ये सभी ऐसी कवायद हैं जिसके क्रियान्वयन में समय लगता है.
भारत के आर्थिक सुधारों पर अमेरिका की नजर
मार्क टोनर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो घोषणाएं की है उनमें से कई सुधारों से अमेरिका काफी उत्साहित हैं, हालांकि अमेरिका इन सुधारों के क्रियान्वयन पर अपनी नजर रखे हुए है. टोनर का मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई एक दिन में खत्म नहीं होने वाली क्योंकि यह ऐसी चीजें नहीं है जो कि एक रात में हो जाए. भ्रष्टाचार चिंता का विषय रहा है. इसलिए, किसी भी सरकार को इसका निदान करना चाहिए.
भ्रष्टाचार पर लगाम से बढ़ेगा विदेशी कंपनियों का रुझान
टोनर ने कहा, निश्चित तौर पर निजी कंपनियां चाहे वे अमेरिका की हों या दूसरे देशों की, जब कहीं भी वो निवेश करना चाहती हैं तो निवेश के लिए हालात देखती हैं और निस्संदेह भ्रष्टाचार राय बनाने और आकलन करने में मदद करता है. इसलिए, भ्रष्टाचार ठीक नहीं है और हम भारत सहित सभी सरकारों को इसका समाधान करने के लिए उत्साहित करते हैं.
एनजीओ के खिलाफ सख्त कानून से अमेरिका चिंतित
अमेरिकी प्रवक्ता का मानना है कि भारत में विदेशी चंदा नियमन कानून को जैसे लागू किया गया है उससे सिविल सोसाइटी संगठनों, एनजीओ को होने वाली कठिनाइयों को लेकर वह चिंतित है. टोनर ने कहा कि व्यापक स्तर पर अमेरिका दुनियाभर में सिविल सोसाइटी का समर्थन करता हैं और उसका मानना है कि दृढ़ता से एक जीवंत सिविल सोसाइटी असल में लोकतांत्रिक संस्थाओं और संस्कृति को मजबूत बनाती है. यकीनन, अपना नजरिया रखने के लिए यह सब को स्वर भी देता है.