अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली खनन कंपनी वेदांता को भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा गुडविल नुकसान हुआ है. कंपनी को यह नुकसान सहायक कंपनी केयर्न इंडिया के मार्केट वैल्यू में गिरावट की वजह से झेलना पड़ा है.
कंपनी ने इस बाबत घोषणा की कि उसे 20,000 करोड़ रुपये का गुडविल नुकसान झेलना पड़ा है. अधिग्रहण की गई कंपनी का खरीद भाव उसके नेट असेट वैल्यू से ज्यादा होने की स्थिति में गुडविल नुकसान होता है.
इस कंपनी को दुनियाभर में कच्चे तेलों की घटती कीमतों का सबसे बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है. वेदांता ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में 50 फीसदी तक की गिरावट आ गई है. कंपनी के सीईओ टॉम अल्बानिस ने कहा, ‘गुडविल नुकसान का निर्णय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के मद्देनजर लिया गया है. वैश्विक तेल और गैस कंपनियां भी इस साल नुकसान दिखा रही है.’
इसके साथ ही केयर्न इंडिया को श्रीलंका में ऑपरेशन से बाहर निकलने की वजह से भी 505 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है. कंपनी प्रत्येक छह महीने पर अपनी संपत्ति का मूल्यांकन करती है और पिछले कुछ महीनों से तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट की वजह से कंपनी ने केयर्न इंडिया का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया.
कंपनी केयर्न इंडिया में हिस्सेदारी के जरिए 2011 में तेल और गैस के कारोबार में उतरी. उसने 60,000 करोड़ रुपये में केयर्न इंडिया का अधिग्रहण किया. कंपनी ने अभी पिछले हफ्ते ही सेसा स्टर्लिट से अपना नाम बदलकर वेदांता ग्रुप किया था.
वेदांता लिमिटेड का एकीकृत शुद्ध घाटा 31 मार्च को समाप्त तिमाही में 19,228.12 करोड़ रुपये रहा. इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 की इसी तिमाही में कंपनी को 1,166 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. वेदांता ने बंबई शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कंपनी का कारोबार 2014-15 की चौथी तिमाही में 17,804.56 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी का कारोबार 20,894 करोड़ रुपये था.