भगोड़े बिजनेसमैन विजय माल्या की वजह से मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने सरकार से कंपनी एक्ट में बदलाव की अपील की है. दरअसल, सेबी चाहता है उसके द्वारा अयोग्य घोषित डायरेक्टर को तत्काल पद छोड़ने का प्रावधान हो. डिफॉल्टर घोषित किए जा चुके विजय माल्या ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था.
कंपनी कानून के तहत किसी अदालत या न्यायाधिकरण के आदेश से संबंधित निदेशक पद पर बैठा व्यक्ति अयोग्य हो जाता है और उसे पद से हटना पड़ता है. हालांकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बारे में स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं कहा गया है. बता दें कि सेबी को हजारों सूचीबद्ध कंपनी के नियमन का जिम्मा मिला हुआ है.
सरकार को इस संबंध में प्रस्ताव देते हुए सेबी ने कहा कि अगर उसके आदेश में संबंधित व्यक्ति अयोग्य करार दिया जाता है तो उसे तत्काल निदेशक पद छोड़ देना चाहिए. इसका जिक्र कंपनी कानून में स्पष्ट रूप से होना चाहिए. सेबी ने अपने प्रस्ताव में 25 जनवरी 2017 के आदेश का जिक्र किया है. इस आदेश में नियामक ने माल्या और छह अन्य को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में अगले आदेश तक निदेशक पद लेने से मना किया.
अधिकारियों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने प्रस्तावित संशोधन को लेकर सेबी से इस बारे में अपने निदेशक मंडल से मंजूरी प्राप्त करने के बाद उसे कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को भेजने को कहा है. कंपनी कानून के लिए नोडल मंत्रालय कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय है.
इस बीच सेबी ने प्रस्तावित आईपीओ के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएसटीसी लि. को मंजूरी दी है. आईपीओ के तहत केंद्र सरकार कुल चुकता शेयर पूंजी में से 1,76,00,000 शेयर को बिक्री के लिये पेशकश करेगी. यह इस बिक्री के बाद कंपनी की चुकता शेयर पूंजी के 25 प्रतिशत के बराबर होगा.