रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल, केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. यह करीब 7 महीने के भीतर दूसरी बार है जब आरबीआई के किसी उच्च अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद को छोड़ दिया है. इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर में निजी कारण बताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. विरल आचार्य के इस्तीफे की पुष्टि आरबीआई ने भी कर दी है.
कार्यकाल के 6 महीने पहले इस्तीफा
अहम बात यह है कि डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने के करीब छह महीने पहले ही अपने पद को छोड़ दिया है. विरल आचार्य आरबीआई के उन बड़े अधिकारियों में शामिल थे जिन्हें उर्जित पटेल की टीम का हिस्सा माना जाता था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विरल आचार्य अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेटर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर ज्वाइन करेंगे. बता दें कि आचार्य ने तीन साल के लिए आरबीआई के बतौर डिप्टी गवर्नर 23 जनवरी 2017 को ज्वाइन किया था. इस हिसाब से वह करीब 30 महीने केंद्रीय बैंक के लिए अपने पद पर कार्यरत रहे.
Reserve Bank of India (RBI) Deputy Governor, Viral Acharya has resigned six months before the scheduled end of his term. He had joined RBI in 2017. (file pic) pic.twitter.com/RyxAt6fmAN
— ANI (@ANI) June 24, 2019
नए गवर्नर के फैसलों से सहमत नहीं!
बीते कुछ महीनों से डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य आरबीआई के नए गवर्नर शक्तिकांत दास के फैसलों से अलग विचार रख रहे थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछली दो मॉनीटरिंग पॉलिसी की बैठक में महंगाई दर और ग्रोथ रेट के मुद्दों पर विरल आचार्य के विचार अलग थे. रिपोर्ट की मानें तो हाल ही की मॉनीटरिंग पॉलिसी बैठक के दौरान राजकोषीय घाटे को लेकर भी विरल आचार्य ने गवर्नर शक्तिकांत दास के विचारों पर सहमति नहीं जताई थी.
दिसंबर से उर्जित पटेल ने दिया था इस्तीफा
इससे पहले दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल ने बतौर आरबीआई गवर्नर कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उर्जित पटेल ने अपने बयान में बताया कि वो निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया.
सरकार के पहले कार्यकाल में तीसरा बड़ा इस्तीफा
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी के लिहाज से उर्जित पटेल का तीसरा बड़ा इस्तीफा था. इससे पहले अरविंद सुब्रमण्यम ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत कारणों से मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं अगस्त 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने पद छोड़ दिया.