संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने केन्द्र सरकार से यूनीवर्सल बेसिक इनकम की मजबूत सिफारिश करते हुए कहा है कि यह लोगों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर कर देश से गरीबी दूर करने की एक अहम योजना हो सकती है.
वहीं इस साल का आर्थिक सर्वेक्षण ऐसे समय में पेश किया गया है जब दुनियाभर में एक अफरातफरी का माहौल है. डोनाल्ड ट्रंप इमीग्रेशन और माइनॉरिटी के मुद्दे का इस्तेमाल कर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नया आयाम देने की कोशिश में हैं. वहीं देश नोटबंदी के दौर से गुजर रहा है और स्थिति को सामान्य होने के लिए बजट से बड़ी अपेक्षाएं हैं.
इन सबके बीच जानिए आर्थिक सर्वेक्षण ने देश की अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंडिकेटर्स के विषय में क्या राय रखी है:
राजकोषीय घाटा
अप्रत्ययक्ष करों के संग्रह में अप्रैल–नवम्ब र 2016 के दौरान 26.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. अप्रैल-नवम्ब्र 2016 के दौरान राजस्वी व्य य में हुई खासी वृद्धि मुख्य2त: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के फलस्वकरूप वेतन में हुई 23.2 फीसदी की बढ़ोतरी और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान में की गई 39.5 फीसदी की वृद्धि की बदौलत संभव हो पाई.
महंगाई
उपभोक्ता मूल्य5 सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्यत महंगाई दर लगातार तीसरे वित्त वर्ष के दौरान नियंत्रण में रही. सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर वर्ष 2014-15 के 5.9 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में 4.9 फीसदी के स्तरर पर आ गई और अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान यह 4.8 फीसदी दर्ज की गई थी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्यूे स पीआई) पर आधारित महंगाई दर वित्तर वर्ष 2014-15 के 2.0 फीसदी से घटकर वित्तत वर्ष 2015-16 में (-) 2.5 फीसदी रह गई और यह अप्रैल-दिसंबर 2016 में औसतन 2.9 फीसदी आंकी गई.
ट्रेड
निर्यात में दर्ज की जा रही ऋणात्म क वृद्धि का रुख कुछ हद तक वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधार के लक्षण दर्शाने लगा, क्यों कि निर्यात 0.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 198.8 अरब अमेरिकी डॉलर के स्त र पर पहुंच गया. वहीं, वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान आयात 7.4 प्रतिशत घटकर 275.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तषर पर आ गया.
वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान व्यारपार घाटा कम होकर 76.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि इससे पिछले वित्त- वर्ष की समान अवधि में यह 100.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था.
चालू खाता घाटा
वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होकर जीडीपी के 0.3 प्रतिशत पर आ गया, जबकि वित्त1 वर्ष 2015-16 की प्रथम छमाही में यह 1.5 प्रतिशत और 2015-16 के पूरे वित्तक वर्ष में यह 1.1 प्रतिशत रहा था.
प्रत्यिक्ष विदेशी निवेश की तेज आवक और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की शुद्ध आवक सीएडी के वित्ति पोषण के लिहाज से पर्याप्तव रहीं, जिसके परिणामस्विरूप वित्तआ वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का रुख रहा.
वित्ति वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीओपी के आधार पर 15.5 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई.
वर्ष 2016-17 के दौरान रुपये का प्रदर्शन अन्यभ उभरती बाजार अर्थव्यंवस्थाओं की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर रहा है.
विदेशी कर्ज
सितंबर 2016 के आखिर में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ 484.3 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया, जो मार्च 2016 के आखिर में दर्ज किये गये विदेशी कर्ज बोझ के मुकाबले 0.8 अरब अमेरिकी डॉलर कम है.
सितंबर 2016 में विदेशी कर्ज के ज्याकदातर मुख्यल संकेतकों ने मार्च 2016 के मुकाबले सुधार का रुख दर्शाया. कुल विदेशी कर्ज में अल्पमकालिक ऋणों का हिस्साा सितंबर 2016 के आखिर में कम होकर 16.8 प्रतिशत रह गया और विदेशी मुद्रा भंडार ने कुल विदेशी कर्ज बोझ के 76.8 प्रतिशत को कवर किया.
कर्ज बोझ से दबे अन्यश विकासशील देशों के मुकाबले भारत के मुख्य6 ऋण संकेतक बेहतर रहे हैं और भारत की गिनती अब भी इस लिहाज से कम असुरक्षित देशों में होती है.
कृषि
कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर वर्ष 2016-17 में 4.1 फीसदी रहने का अुनमान लगाया गया है, जबकि वित्तर वर्ष 2015-16 में यह दर 1.2 फीसदी रही थी. कृषि क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन को आश्च र्यजनक नहीं कहा जा सकता है, क्योंेकि पिछले दो वर्षों के मुकाबले चालू वर्ष में मानसून काफी बढि़या रहा.
वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा 616.2 लाख हेक्टेकयर आंका गया, जो पिछले वर्ष के समान सप्तावह में दर्ज किये गये रकबे के मुकाबले 5.9 फीसदी अधिक है.
वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को गेहूं का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान सप्तािह में दर्ज किये गये रकबे की तुलना में 7.1 फीसदी अधिक रहा. इसी तरह वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को चने का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान सप्तासह में आंके गए रकबे के मुकाबले 10.6 फीसदी ज्याकदा रहा.
इंडस्ट्री
वर्ष 2016-17 में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के कम होकर 5.2 प्रतिशत के स्तरर पर आ जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2015-16 में यह वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी. अप्रैल-नवम्बनर, 2016-17 के दौरान औद्योगिक उत्पाटदन सूचकांक (आईआईपी) में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है.
आठ प्रमुख ढांचागत सहायक उद्योगों अर्थात कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पामद, उर्वरक, इस्पाइत, सीमेंट और बिजली उद्योगों ने अप्रैल-नवम्ब्र 2016-17 के दौरान 4.9 प्रतिशत की संचयी वृद्धि दर दर्ज की, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह दर 2.5 प्रतिशत थी. अप्रैल-नवम्बपर 2016-17 के दौरान रिफाइनरी उत्पापदों, उर्वरकों, इस्पा त, बिजली और सीमेंट के उत्पा-दन में अच्छी -खासी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कच्चेत तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पाउदन गिर गया. वहीं, कोयले की उत्पाटदन वृद्धि दर में समान अवधि के दौरान गिरावट का रुख देखा गया.
कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन (भारतीय रिजर्व बैंक, जनवरी 2017) से यह तथ्यि सामने आया है कि वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान कुल बिक्री में 1.9 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथ म तिमाही में यह वृद्धि दर महज 0.1 फीसदी रही थी. वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान इसके शुद्ध मुनाफे में 16.0 फीसदी की उल्लेफखनीय बढ़ोतरी हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही के दौरान इसमें 11.2 फीसदी की वृद्धि आंकी गई थी.
सर्विस सेक्टर
वर्ष 2016-17 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2015-16 में दर्ज की गई वृद्धि के लगभग बराबर है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कर्मचारियों को मिली अच्छीक–खासी धनराशि की बदौलत लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्यर सेवाओं में उल्लेाखनीय वृद्धि हुई है। इसी को देखते हुए सेवा क्षेत्र द्वारा तेज रफ्तार पकड़ने का अनुमान लगाया गया है।
सोशल सेक्टर और नौकरी
संसद में ‘दिव्यांरगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ पारित हो गया है. इस अधिनियम का उद्देश्यह दिव्यांदगजनों के अधिकारों को सुरक्षित करने के साथ-साथ इनमें और ज्याुदा वृद्धि सुनिश्चित करना है. इस अधिनियम में सरकारी प्रतिष्ठाकनों की रिक्तियों में उन लोगों के लिए आरक्षण स्तवर को तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी करने का प्रस्ताठव किया गया है, जिनमें विकलांगता अपेक्षाकृत ज्यादा है और जिन्हेंे अत्यरधिक सहायता की जरूरत पड़ती है.