मार्च 2016 में खत्म होने वाले मौजूदा कारोबारी वर्ष में देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुस्ती बनी रह सकती है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (एमआईएस) ने मंगलवार को यह अनुमान जताया. मूडीज का कहना है कि यह पूर्वानुमान हालांकि पूरी तरह तभी लागू होगा, जब मानसूनी बारिश औसत से कम होगी.
एमआईएस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ शोध विश्लेषक राहुल घोष के मुताबिक, 'देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कमजोर रहने से कृषि क्षेत्र में निजी खपत और गैर निष्पादक परिसंपत्तियों पर दबाव बढ़ेगा, जो देश और बैंकों की साख के लिए नकारात्मक होगा.'
'ग्रामीण आय वृद्धि दर बहुत कम'
यह बात एमआईएस के त्रैमासिक प्रकाशन इनसाइड इंडिया के ताजा संस्करण में कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ग्रामीण आय वृद्धि दर 2015 में अब तक 5 फीसदी से कम रही है, जबकि 2011 में यह 20 प्रतिशत थी.
रिपोर्ट में देश में किए जा रहे सुधारों के बारे में कहा गया कि देश में बहुदलीय, संघीय लोकतंत्र के कारण नीतियों को लागू होने में समय लगता है. रिपोर्ट के मुतााबिक, ज्यादातर नीति देश की सांस्थानिक ताकत को मजबूत करने वाली हैं, लेकिन इन सुधारों को प्रभाव नजर आने में कई साल लग सकते हैं.
(इनपुट: IANS)