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क्या है करेंसी चेस्ट? यूं कुबेर के खजाने से बंटता है रुपया

नई करेंसी और नए सिक्कों का देशभर में वितरण, पुरानी करेंसी को रिसाइकल करना और सभी बैंकों में एकत्र हुए अत्यधिक कैश को अपने पास रखने का काम किया जाता है. इन सभी काम को करने के लिए रिजर्व बैंक के पास देशभर में कई खजाना बनाना पड़ता है जिसे वह करेंसी चेस्ट कहता है.

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रिजर्व बैंक देशभर में फैले करेंसी चेस्ट के जरिए करता है काम
रिजर्व बैंक देशभर में फैले करेंसी चेस्ट के जरिए करता है काम

केन्द्रीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का सबसे प्रमुख काम देश में नई-पुरानी करेंसी का संचार करना है. इसमें नई करेंसी और नए सिक्कों का देशभर में वितरण, पुरानी करेंसी को रिसाइकल करना और सभी बैंकों में एकत्र हुए अत्यधिक कैश को अपने पास रखने का काम किया जाता है. इन सभी काम को करने के लिए रिजर्व बैंक के पास देशभर में कई खजाना बनाना पड़ता है जिसे वह करेंसी चेस्ट कहता है. इस करेंसी चेस्ट या कुबेर के खजाने को देशभर कई जगहों पर बनाया जाता है जिससे रिजर्व बैंक का करेंसी वितरण काम आसानी से किया जा सके.

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करेंसी चेस्ट का काम
देशभर में करेंसी के संचार को बनाए रखने के लिए मौजूदा समय में रिजर्व बैंक के पास लगभग 4211 करेंसी चेस्ट हैं. इसके अलावा सिक्कों का संचालन करने के लिए उसके पास 3990 डिपो हैं. ये चेस्ट देशभर में फैले हुए हैं क्योंकि संचार के साथ-साथ इन खजानों में किसी भी सामान्य बैंक में जमा कराए गए रुपयों (कैश रिजर्व रेशियो) को भी रखा जाता है. नोटबंदी की प्रक्रिया शुरू होते ही ये करेंसी चेस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. सरकारी प्रेम में नई करेंसी की प्रिंटिग होने के बाद उसे सीधे देशभर में फैले इन करेंसी चेस्ट में पहुंचा दिया जाता है.

रिजर्व बैंक का दिया यह नक्शा बताता है कि देश में कहां-कहां करेंसी चेस्ट मौजूद हैं.

 

 

करेंसी चेस्ट में पार्टनर
करेंसी चेस्ट को देशभर में स्थापित करने के लिए रिजर्व बैंक प्रमुख सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का सहयोग लेता है. इसके अलावा इस काम में 6 सहयोगी बैंकों, सभी नैशनलाइज्ड बैंक, प्राइवेट सेक्टर के कुछ चुने हुए बैंक, 1 विदेशी बैंक, 1 कोऑपरेटिव बैंक और ग्रामीण बैंक को भी शामिल किया जाता है. इस काम को करने के रिजर्व बैंक अपने देशभर में फैले 18 ब्रांच या इशू ऑफिस के जरिए करता है.

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कैसे पहुंचाई जाती है चेस्ट में करेंसी
देश के 4 सरकारी प्रेस में करेंसी की प्रिंटिंग होने के बाद उसे सीधे रिजर्व बैंक के 18 इशू ऑफिस में पहुंचाया जाता है. इन ऑफिस तक नई करेंसी को पहुंचाने के लिए रेलवे, एयर फोर्स के माल वाहक विमान और राज्य पुलिस की मदद ली जाती है. शहरों में यातायात के लिए आमतौर पर करेंसी की बड़ी मूवमेंट के लिए निजी क्षेत्र से बड़े कंटेनर वेहिकल किराए पर लिए जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया की पूरी गोपनियता रखी जाती है और देश के कुछ संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के लिए सेना की मदद भी ली जाती है. इसके बाद करेंसी को रिजर्व बैंक की निगरानी में अन्य बैंकों द्वारा चलाए जा रहे करेंसी चेस्ट में पहुंचा दिया जाता है.

एटीएम और बैंक शाखाओं को मिलता है रुपया
रिजर्व बैंक के इस विशाल नेटवर्क से करेंसी को बैंकिग व्यवस्था में डाला जाता है. इसमें प्रमुख काम देशभर में सभी बैंकों के एटीएम में रुपया भरने के काम के साथ-साथ बैंक की सभी ब्रांचों में दिन के काम के लिए करेंसी की सप्लाई की जाती है.

 

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