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चीन के उस बैंक में शामिल क्यों है भारत जो करता OBOR की फंडिंग?

चीन ने बैंक को 100 बिलियन डॉलर का फंड दिया है. इस बैंक से एशियाई देशों में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट्स की फंडिग की जानी है. इस बैंक के जरिए एशिया में रेल, रोड नेटवर्क और पॉवर ग्रिड की फंडिग की जानी है. चीन के बाद भारत इस बैंक का सबसे बड़ा पार्टनर है.

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OBOR की फंडिंग कर क्यों विरोध कर रहा भारत
OBOR की फंडिंग कर क्यों विरोध कर रहा भारत

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चीन के नेतृत्व में एशिया क्षेत्र में इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की फंडिंग करने के लिए 2015 में 'एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक' (AIIB) को बनाया गया था. इस बैंक का प्रस्ताव 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया था. चीन ने बैंक को 100 बिलियन डॉलर का फंड दिया है. इस बैंक से एशियाई देशों में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट्स की फंडिग की जानी है. इस बैंक के जरिए एशिया में रेल, रोड नेटवर्क और पॉवर ग्रिड की फंडिग की जानी है.

चीन और भारत बड़े खिलाड़ी

चीन के इस बैंक में बाकी एशियाई देशों से 70 फीसदी फंडिग की जाएगी और सदस्य देशों को वोटिंग अधिकार उनके योगदान के आधार पर मिलेगा. भारत भी उन 35 देशों में शामिल है जो इस बैंक में शामिल हो चुका है. सर्वाधिक फंड देने के लिए चीन के पास लगभग 26 फीसदी वोट हैं और वह इस एशिया इंफ्रा बैंक का सबसे बड़ा प्लेयर है. दूसरा सबसे बड़े योगदान करके भारत के पास 7.5 फीसदी वोट है. बैंक के अन्य सदस्य देशों में रूस 6 फीसदी, दक्षिण कोरिया 3 फीसदी, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान लगभग 1 फीसदी प्रत्येक है.

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अमेरिका नहीं चाहता एशिया इंफ्रा बैंक

अमेरिका और जापान ने चीन के इस बैंक को एक साजिश करार दिया है. अमेरिका के मुताबिक चीन ने इस एशिया बैंक को ब्रेटेन वुड्स संस्थाएं विश्व बैंक और आईएमएफ के प्रभुत्व को कम करने के लिए तैयार किया है. लिहाजा, अमेरिका ने एशिया समेत दुनियाभर के देशों से एशिया इंफ्रा बैंक से दूर रहने की अपील की है.

एशिया बैंक में यूरोप की बड़ी भूमिका

गैर क्षेत्रीय देशों से सदस्यों के तौर पर एशिया इंफ्रा बैंक से जर्मनी, फ्रांस, इटली और इंग्लैंड समेत 17 देश शामिल हैं. इन देशों में जर्मनी, इटली, फ्रांस और इंग्लैंड के पास इस एशिया बैंक में 3 से 4 फीसदी वोटिंग अधिकार है. अमेरिकी दबाव के बावजूद यूरोपीय देशों का मानना है कि इस एशिया बैंक से एशियाई देशों में होने वाला विकास यूरोप के हित में है.

इसे पढ़ें: चीन भरोसे मोदी की सौभाग्य योजना, 24 घंटे बिजली के लिए 10 करोड़ डॉलर कर्ज को मंजूरी

चीन का पाक प्रोजेक्ट (CPEC)

चीन की मीडिया में छपी खबर के मुताबिक चीन सरकार ने पाकिस्तान में अपने इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोग्राम (CPEC) के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रेल और रोड नेटवर्क प्रस्तावित किया है. इस प्रोग्राम का भारत शुरू से ही विरोध कर रहा है. हालांकि चीन सरकार ने भारत से इस प्रोग्राम पर आपत्ति हटाने की मांग करते हुए कहा है कि कश्मीर पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला है.

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अब ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत देंगे OBOR का विकल्प

ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत ने मिलकर एक संयुक्त प्लान बनाया है जिसके तहत इन देशों की तैयारी चीन के बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट को टक्कर देने की है. इस प्लान के तहत ये चारों देश मिलकर ज्वाइंट रीजनल इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम से चीन के ओबीओआर का विकल्प तैयार करेंगे. राइटर के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख थिंक टैंक ऑस्ट्रेलियन फाइनेंनशियल रिव्यू ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के बायन पर यह दावा किया है. हालांकि अमेरिकी सूत्र ने दावा किया है कि इन चार देशों का यह प्रोजेक्ट अभी शुरुआती स्तर पर है.

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