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5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी से भी ज्यादा हासिल कर सकता है भारत, ये आंकड़े हैं गवाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना अगले 5 साल में देश की इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना है. साल 2018 में उन्होंने स्विट्जरलैंड के दावोस में सबसे पहले साल 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने की बात कही थी. बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यही बात दोहराई.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना अगले 5 साल में देश की इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना है. साल 2018 में उन्होंने स्विट्जरलैंड के दावोस में सबसे पहले साल 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने की बात कही थी. बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यही बात दोहराई. लेकिन अगले पांच साल में भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने में कोई रुकावट दिखाई नहीं देती. यह कोई मुश्किल चीज नहीं है. भारत इससे तेज भी विकास कर सकता है.

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जो रफ्तार 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के लिए चाहिए, भारत उससे तेजी से विकास कर रहा है. नोटबंदी जैसे झटके के बावजूद विकास के हर पैमाने (11 और 12% प्रतिवर्ष के बीच) पर भारत 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का टारगेट हासिल कर लेगा बशर्ते रुपया-डॉलर की दर लगभग 70 रुपये हो. लेकिन 2024 तक भारत हर विकास पैमाने पर 5 ट्रिलियन से थोड़ा दूर रह सकता है.

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ऐसा कैसे होगा

डॉलर में जीडीपी को आईएमएफ या वर्ल्ड बैंक मापता है. वे मौजूदा कीमतों पर भारत की जीडीपी से हासिल हुई (नॉमिनल) जीडीपी की कैलकुलेशन करते हैं. अगर 190 लाख करोड़ रुपये पर 2018-19 में भारत की जीडीपी देखें तो यह 2.71 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी (औसतन 70 रुपये प्रति डॉलर की दर से) बैठती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 11 प्रतिशत जीडीपी की सालाना विकास दर से 2024-25 में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी, 11.25 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से 5.15 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष, 11.5 प्रतिशत सालाना की दर से 5.22 ट्रिलियन और 12 प्रतिशत सालाना की दर से 5.36 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है.

एक दूसरा तरीका है, जिसमें स्थिर कीमतों से जीडीपी को मापा जाता है. इसमें जीडीपी बेस ईयर से जुड़ी होती है, जो फिलहाल 2011-12 है. इसमें 'असली जीडीपी' को मापा जाता है, जिसमें महंगाई का प्रभाव शामिल नहीं होता. स्थित कीमतों पर भारत की जीडीपी करीब 140 लाख रुपये बैठती है. यह स्थिर कीमतों पर जीडीपी की तुलना में पूरे 50 लाख करोड़ रुपये कम है. इस तरह यह सिर्फ 2 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी हुई. इससे साफ है कि न तो सरकार और न ही आईएमएफ/वर्ल्ड बैंक इस आंकड़े का सहारा ले रहा है.

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वर्ल्ड बैंक की नॉमिनल जीडीपी या मौजूदा कीमतें स्थिर कीमतों की सालाना महंगाई और जीडीपी हैं. इसलिए भारत अगर 2025 तक 7-7.5 प्रतिशत सालाना की दर से औसतन रियल जीडीपी ग्रोथ रेट दर्ज करता है और महंगाई दर 4 प्रतिशत की रेंज में रहती है तो भारत के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. इसलिए भारत को अब और बड़ा ख्वाब देखना चाहिए.

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