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कैशलेस इकोनॉमी: डेबिट कार्ड से कैश निकालने पर लग सकती है पाबंदी

शुरुआती आंकड़े केन्द्र सरकार की कैशलेस इकोनॉमी के पक्ष में दिखे क्योंकि एक झटके में देशभर से डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल में बड़ा इजाफा दर्ज होने लगा. लेकिन यही आंकड़े कहते हैं कि डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में बीते एक महीने के दौरान आई तेजी सिर्फ एटीएम से कैश निकालने की वजह से है. क्या इसे कैशलेस इकोनॉमी की तरफ बढ़ना माना जा सकता है?

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डेबिट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ कैश निकालने के लिए हो रहा है
डेबिट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ कैश निकालने के लिए हो रहा है

नोटबंदी लागू करने के बाद देश को कैशलेस इकोनॉमी बनाने की जोर-शोर से तैयारी चल रही है. नोटबंदी लागू करने के लिए हालांकि 8 नवंबर को केन्द्र सरकार ने दलील दी थी कि इस कदम से ब्लैकमनी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा. लेकिन ऐसा होता न देख पूरी कवायद को कैशलेस इकोनॉमी बनाने के प्रयास पर पेश कर दिया गया.

शुरुआती आंकड़े केन्द्र सरकार की कैशलेस इकोनॉमी के पक्ष में दिखे क्योंकि एक झटके में देशभर से डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल में बड़ा इजाफा दर्ज होने लगा. लेकिन यही आंकड़े कहते हैं कि डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में बीते एक महीने के दौरान आई तेजी सिर्फ एटीएम से कैश निकालने की वजह से है. क्या इसे कैशलेस इकोनॉमी की तरफ बढ़ना माना जा सकता है?

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कार्ड के बढ़ते इस्तेमाल से सरकार ने दिया कैशलेस की शगूफा?
इन्हीं आंकड़ों को देखकर रिजर्व बैंक की पहल पर देश के सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने ग्राहकों को कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन करने के लिए भी प्रेरित किया है. कार्ड के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने बड़ी संख्या में नए कार्ड को बनवाने का ऑर्डर भी दे दिया है. लेकिन अब जब रिजर्व बैंक के अपने आंकड़े कैशलेस इकोनॉमी की तरफ बढ़ते कदम को गलत ठहरा रहे हों तो क्या केन्द्र सरकार का नया दावा कि नोटबंदी को कैशलेस इकोनॉमी बनाने के लिए लागू किया गया को जायज माना जा सकता है?

रिजर्व बैंक से जारी नहीं हुआ नोटबंदी के बाद का आंकड़ा
रिजर्व बैंक प्रति माह आंकड़े जारी करता है कि देश में क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की मदद से कितने ट्रांजैक्शन किए गए. इन आंकड़ों में क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का प्वाइंट ऑफ सेल पर इस्तेमाल कर सीधे खरीदारी करने के आंकड़े रहते हैं. साथ ही इन कार्डों का इस्तेमाल कर एटीएम से कैश निकालने के भी महीने भर के आंकड़े रहते हैं. रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर नवंबर के आंकड़े अबतक आ जाने चाहिए थे लेकिन नोटबंदी के चलते स्टाफ की कमी के कारण 17 नवंबर को अगस्त के आंकड़े जारी किए गए और सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के आंकड़ों का फिलहाल रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर फिलहाल इंतजार हो रहा है.

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अगस्त के आंकड़े(आरबीआई)
रिजर्व बैंक के नवंबर में जारी अगस्त महीने के आंकड़े कहते हैं कि अगस्त महीने तक देश में कुल 71.25 करोड़ डेबिट कार्ड थे. ये डेबिट कार्ड्स कुल 75.67 करोड़ बार एटीएम कार्ड पर इस्तेमाल किए गए. वहीं इन डेबिट कार्ड से 13 करोड़ ट्रांजैक्शन प्वाइंट ऑफ सेल यानी सीधे खरीदारी करने के लिए किया गया. अगस्त महीने के दौरान कुल 2.19 लाख करोड़ रुपये डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर एटीएम से निकाले गए और महज 18.37 हजार करोड़ रुपये से सीधे खरीदारी की गई. यानी साफ है कि डेबिट कार्ड का लगभग 94 फीसदी इस्तेमाल सिर्फ कैश निकालने के लिए किया गया.

अक्टूबर के आंकड़े
रिजर्ब बैंक से नवंबर के वास्तविक आंकड़े जारी होना अभी बाकी है हालांकि अक्टूबर के आंकड़े कहते हैं कि देश में कुल 94.2 करोड़ थे. इस महीने में डेबिट कार्ड धारकों ने लगभग 2.63 लाख करोड़ रुपये का कुल ट्रांजैक्शन किया है. हालांकि इसमें लगभग 92 फीसदी बार डेबिट कार्ड का इस्तेमाल एटीएम से कैश निकालने के लिए किया गया. महज 8 फीसदी कार्ड का इस्तेमाल प्वाइंट ऑफ सेल टर्मिनल पर सीधे खरीदारी करने के लिए किया गया. यह तथ्य और भी ज्यादा चौकाने वाले हो जाते हैं क्योंकि देशभर में 15.12 लाख प्वाइंट ऑफ सेल टर्मिनल मौजूद हैं इसके मुकाबले महज 2.2 लाख एटीएम देशभर में हैं.

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कैशलेस इकोनॉमी के लिए डेबिट कार्ड से बेहतर क्रेडिट कार्ड
रिजर्व बैंक के अक्टूबर के आंकड़े कहते हैं के देश में डेबिट कार्ड की तुलना में महज 10 फीसदी क्रेडिट कार्ड (लगभग 9 करोड़) हैं. हालांकि जहां डेबिट कार्ड से सीधी खरीदारी के कहीं ज्यादा सीधी खरीदारी क्रेडिट कार्ड से हो रही है. अक्टूबर महीने में क्रेडिट कार्ड से कुल खरीदारी लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की हुई थी.

जरूरी है डेबिट कार्ड से कैश निकालने पर पाबंदी?
देश को कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में ले जाने के लिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड अहम जरिया हैं. लेकिन बीते कई दशकों की कैश व्यवस्था के चलते डेबिट कार्ड का वास्तविक इस्तेमाल महज कैश प्राप्त करना का एक जरिया बन गया है. अब एक तरफ कैशलेस इकोनॉमी बनाने के लिए सरकार कार्ड के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रही है तो दूसरी तरफ उसे डेबिट कार्ड से कैश पाने के रास्ते पर कुछ बाधाएं भी लगाने की जरूरत है. डेबिट कार्ड से सीधे कैश निकालने पर भले पाबंदी न लगे लेकिन इसके इस्तेमाल को महंगा करना (चार्ज लगाकर), महीने में सिर्फ एक से दो बार कैश निकालने की छूट देने जैसी पाबंदी से देश को कैशलेस व्यवस्था की तरफ तेजी से खींचा जा सकता है.

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