31 मार्च तक निदेशक मंडल में कम-से-कम एक महिला निदेशक नियुक्त करने में विफल रहने वाली कंपनियों का नाम लिए बगैर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने चार स्तरीय जुर्माना ढांचे की घोषणा की. इसके तहत जैसे-जैसे समय अधिक होगा जुर्माना बढ़ता जाएगा.
सेबी ने नियम का पालन नहीं करने वाली कंपनियों को कड़ी चेतावनी दी थी लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों समेत बड़ी संख्या में फर्में इस समयसीमा का पालन करने में विफल रहीं.
नियामक ने शेयर बाजारों से जुर्माना लगाने को कहा है क्योंकि सूचीबद्धता समझौते से जुड़ा है. परिणामस्वरूप कई एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कंपनियों के लिये जुर्माना कई गुणा बढ़ेगा.
एक अनुमान के मुताबिक बंबई शेयर बाजार में 1,000 से अधिक कंपनियां तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में करीब 200 कंपनियां निदेशक मंडल में कम-से-कम एक महिला निदेशक नियुक्त करने का नियम पालन नहीं कर सकी हैं. सेबी ने पिछले साल फरवरी में इस नियम की घोषणा की थी और इसके लिये शुरू में समयसीमा एक अक्टूबर 2014 थी जिसे बाद में छह महीने के लिए बढ़ा दी गई.
जुर्माने ढांचे के बोर में की गयी घोषणा के अनुसार कंपनियां मौद्रिक जुर्माने के अलावा नियामकीय कार्रवाई से बच सकती हैं बशर्ते वे अगले छह महीने के भीतर नियम का पालन करें. यह सीमा 30 सितंबर 2015 है. लिस्टेड कंपनियां अगर एक अप्रैल से 30 जून के बीच नियम का पालन करती हैं तो उन्हें केवल 50,000 रुपये बतौर जुर्माना देना होगा. अगर वे इस साल एक जुलाई से 30 सितंबर तक नियम का पालन करती हैं तो उन्हें 50,000 रुपये के साथ ही नियम पालन करने के दिन तक प्रतिदिन 1,000 रुपये अतिरिक्त देना पड़ेगा.
लिस्टेड कंपनियां अगर एक अक्टूबर 2015 या उसके बाद नियम का पालन करती हैं तो उन्हें 1.42 लाख रुपये के अलावा नियम का पालन करने तक 5,000 रुपये प्रतिदिन जुर्माना देना होगा. नियामक के सर्कुलर के अनुसार, ‘30 सितंबर 2015 के बाद गैर-अुनपालन के लिए सेबी संबंधित इकाइयों, उनके प्रवर्तकों और निदेशकों के खिलाफ और कार्रवाई कर सकता है.’