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सुस्ती के बाद भारत का विकास तय: विश्व बैंक

कारोबारी सुस्ती के कारण मार्च 2013 को समाप्त होने वाले कारोबारी साल में भारत की अनुमानित विकास दर घटाकर 5.4 फीसदी किए जाने के बाद विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि देश की विकास दर इस साल 6.4 फीसदी रहेगी और 2015 तक यह बढ़कर 7.3 फीसदी हो जाएगी.

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कारोबारी सुस्ती के कारण मार्च 2013 को समाप्त होने वाले कारोबारी साल में भारत की अनुमानित विकास दर घटाकर 5.4 फीसदी किए जाने के बाद विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि देश की विकास दर इस साल 6.4 फीसदी रहेगी और 2015 तक यह बढ़कर 7.3 फीसदी हो जाएगी.

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मंगलवार को जारी विश्व बैंक की ताजा ग्लोबल इकनॉमिक प्रोस्पैक्ट्स रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में आर्थिक सुस्ती के कारण 2012 में क्षेत्र की अनुमानित विकास दर भी घटकर 5.4 फीसदी (2011 में 7.4 फीसदी) रही.

भारत में नीतिगत सुधार, दमदार निवेश, सामान्य कृषि उत्पादन और निर्यात मांग में तेजी के कारण क्षेत्र की अनुमानित आर्थिक विकास दर 2013 कैलेंडर वर्ष में 5.7 फीसदी, 2014 में 6.4 फीसदी और 2015 में 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है.

रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि क्षेत्र की विकास दर घट भी सकती है और इसके सम्भावित कारणों के रूप में रिपोर्ट में यूरो क्षेत्र में वित्तीय संकट के गहराने और अमेरिका में कर्ज से सम्बंधित मुद्दों के लम्बा खिंचने का जिक्र किया गया, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र को व्यापारिक और वित्तीय दोनों मामलों में प्रभावित कर सकता है.

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रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार की अनिश्चितता के कारण भारत का चालू खाता घाटा घटाने का कार्यक्रम भी पटरी से उतर सकता है.

रिपोर्ट में हालांकि यह भी कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के चार साल बाद ऐसा लगता है कि सबसे बुरा दौर गुजर चुका है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम बना हुआ है, क्योंकि उच्च आय वाले देश अनिश्चितता और धीमे विकास से गुजर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च आय वाले देशों में सुस्त विकास के बाद भी विकासशील देशों में सम्भावना अच्छी है हालांकि वहां विकास दर संकट से पहले वाली दर की तुलना में एक से दो फीसदी कम ही रहेगी.

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