खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर स्थायी समाधान ढूंढने की धीमी प्रगति से निराश भारत ने आज कहा कि उसके लिये व्यापार सुविधा समझौते पर सहमत होना मुश्किल होगा. यह समझौता मुख्यतौर पर विकसित देशों द्वारा तैयार किया गया है.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘जब तक हमें इसका आश्वासन नहीं मिलता और ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता है जिससे विकासशील देशों को यह भरोसा मिले कि (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देश खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण और विशेषकर अल्पविकसित देशों को लेकर बाली में किये गये वादों के अनुसार स्थायी समाधान तलाशने को प्रतिबद्ध हैं, तब तक भारत के लिये संशोधन समझौते पर सहमत होना मुश्किल होगा.’
इस महीने के शुरू में जिनेवा में भारत ने कहा कि वह मूल संशोधन पत्र के प्रारूप में व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) को पूरा करने में हमेशा ही सक्रियता और रचनात्मकता के साथ जुड़ा रहा है और अपनी प्रतिबिद्धता को पूरा करने के लिये काम करता रहा है.
डब्ल्यूटीओ की पिछले साल दिसंबर में बाली में हुई बैठक में सदस्यों ने टीएफए को अंतिम रूप देने और खाद्य सुरक्षा योजना के बिना किसी बाधा के क्रियान्वयन के लिये स्थायी समाधान तलाशने पर सहमति बनी थी. वहां तय हुआ था कि वहां सहमति बनी थी कि विकासशील देशों के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम (अनाज के सरकारी भंडार और न्यूनतम समर्थन मूल्य कार्यक्रम) के विषय में पक्का समझौता होने तक ऐसे कार्यक्रमों की जांच पर जोर नहीं दिया जाएगा.
गौरतलब है कि विश्व व्यापार समझौते के तहत कृषि सब्सिडी के एक स्तर से ऊपर जाने पर देशों के खिलाफ दंडात्मक शुल्क का प्रावधान है.