पंजाब नेशनल बैंक के 11400 करोड़ के स्कैम में विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार को घेरने का काम कर रही हैं. लेकिन इस बार घर के अंदर से ही पार्टी पर हमला हुआ है. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस मामले में कहा कि कांग्रेस-बीजेपी जिस तरह से एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, उससे तथ्य सामने नहीं आएगा.
यशवंत सिन्हा ने कहा कि अच्छा ये होगा कि सरकार 2011 से 2017 तक जितने भी एलओयू नीरव मोदी की कंपनी को जारी हुए हैं, उनकी जानकारी सार्वजनिक कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यूपीए के समय में 2011 से 2014 के मई तक कितने LoU जारी हुए हैं, अब ये बताना चाहिए कि मई 2014 से 2017 तक एनडीए सरकार में कितने LoU जारी हुए हैं.
सिन्हा ने कहा कि ये बैंक के दो अधिकारियों ने किया है लेकिन ऐसा नहीं हैं जब इतनी पेमेंट एक ब्रांच से रिलीज़ हो रही है तो RBI की जानकारी में जरुर आया होगा.
उन्होंने कहा कि मैंने भी वित्त मंत्रालय चलाया है इसलिए कह सकता हूं बैंक के बड़े अधिकारियों पर राजनैतिक दबाव भी रहता है इस तरह के लोन के लिए और कई बार बैंक के अधिकारी दबाव में आ जाते हैं.
अब सरकार इस बात का श्रेय लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. सरकार एक तरफ कह रही है कि पीएनबी के कहने पर एफआईआर हुई है, और दूसरी तरफ कह रही है उसने 6 हज़ार करोड़ की रिकवरी कर ली है. हालांकि, ये ठीक है क्योंकि उन्होंने रिकवरी किस आधार पर की है जो कीमत डिमांड पर लिखी हुई हैं ये अभी साफ नहीं हैं.
अब सरकार कैसे श्रेय ले रही है, जब घोड़ा अस्तबल से जनवरी में भाग चुका है. नीरव मोदी को भारत लाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि ये देखना होगा कि वो किस देश छुपा हुआ है. उसके बाद यह भी देखना होगा कि उस देश के साथ हमारे देश की प्रत्यार्पण संधि है या नहीं.