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2016: भारतीय कंपनियों के मर्जर और टेकओवर के लिए बढ़ियां रहा यह साल

साल 2016 कंपनियों के बोर्डरूम के लिए काफी हलचल वाला रहा. इस साल कंपनियों ने 52 अरब डॉलर से ज्यादा राशि के मर्जर और टेकओवर को अंजाम दिया. आने वाले साल में इस आंकड़े के और बढ़ने की संभावना है क्योंकि भारतीय कंपनियों में वैश्विक निवेशकों का रूझान बढ़ रहा है.

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मर्जर और टेकओवर के लिए बेहतरीन साल
मर्जर और टेकओवर के लिए बेहतरीन साल

साल 2016 कंपनियों के बोर्डरूम के लिए काफी हलचल वाला रहा. इस साल कंपनियों ने 52 अरब डॉलर से ज्यादा राशि के मर्जर और टेकओवर को अंजाम दिया. आने वाले साल में इस आंकड़े के और बढ़ने की संभावना है क्योंकि भारतीय कंपनियों में वैश्विक निवेशकों का रूझान बढ़ रहा है.

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इस साल सौदों का मूल्य बढ़ने की अहम वजह विभिन्न क्षेत्रों में बड़े लेनदेन और एकीकरण होना है. जानकारों का मानना है कि इसी तरह का रुख 2017 में भी जारी रह सकता है. आने वाला साल घरेलू सौदों के साथ-साथ बाहर से होने वाले सौदों को लेकर भी अच्छा दिख रहा है लेकिन यह धारणा वृहद-आर्थिक रुख और बुनियादी ढांचा एवं बिजली जैसे अन्य क्षेत्रों में सुधारों पर निर्भर करेगा.

कंसल्टेंट कंपनी ईवाई के अनुसार 2016 में घोषित सौदों का कुल अनुमानित मूल्य 52.6 अरब डॉलर है. यह 2015 के 31.3 अरब डॉलर से काफी अधिक है. हालांकि वर्ष 2016 में सौदों की संख्या घटकर 756 रह गई जो 2015 में 886 थी.

ईवाई ने कहा है कि 2017 में मर्जर और टेकओवर गतिविधियों के सकारात्मक बने रहने की उम्मीद है क्योंकि वित्तीय और रणनीतिक निवेशकों का भारतीय अर्थव्यस्था में रूझान बना हुआ है. टेक्नोलॉजी, लाइफ साइंस और वित्तीय सेवा जैसे क्षेत्रों में ज्यादा निवेश आने की संभावना है.

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आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि नोटबंदी के चलते निकट समय में सौदों में कमी देखने को मिल सकती है. लेकिन लंबे अंतराल में नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.

मर्जरमार्केट इंडिया ब्यूरो के अनुसार जीएसटी से अधिकतर कंपनियों का मुनाफा बेहतर होगा. यह कदम कर ढांचे की जटिलताओं को भी सुधारेगा. इससे कंपनियों का प्रदर्शन सुधरेगा और उनकी बचत भी बढ़ेगी जिसका अंतिम लाभ ग्राहक को भी मिलेगा.

इस प्रकार दोनों तरह के सुधारों से कारोबार असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र की ओर अग्रसर होगा और इससे भारत एक निवेश स्थल के रूप में और आकर्षक बनेगा. हालांकि 2017 में आर्थिक माहौल विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारणों से अस्थिर रह सकता है. इससे घरेलू बाजार में वास्तिवक तौर पर एकीकरण बढ़ सकता है.

इस एकीकरण में बुनियादी ढांचे, वित्तीय सेवा और ई-कॉमर्स क्षेत्र शामिल हैं. कारपोरेट प्रोफेशनल ग्रुप का मानना है कि सरकार के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने से पेटीएम और उसके जैसी स्टार्टअप कंपनियों को लाभ होगा. वहीं जीएसटी का अनुपालन सितंबर 2017 से होने की संभावना है और पहले साल की इसकी अपनी चुनौतियां हैं, लिहाजा इसका प्रभाव 12 से 18 महीने के बाद ही दिखाई देना शुरू होगा.

 

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