रेल आरक्षण के लिए अपना पैन देना खतरे से खाली नहीं है. इसका दुरुपयोग हो सकता है. इनकम टैक्स विभाग के एक सूत्र ने यह जानकारी दी है.
एक वेबसाइट के मुताबिक इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पैन नंबर को जगजाहिर करने से इसका दुरुपयोग हो सकता है. कोई भी बड़ी खरीदारी करके किसी और का पैन नंबर दे सकता है. इन दिनों महंगे गहने वगैरह (पांच लाख रुपये से ऊपर) खरीदने पर दुकानदार को ग्राहक का पैन नंबर लेना होता है. चालाक लोग अपना पैन नंबर देने की बजाय किसी और का पैन नंबर दे देते हैं. कई ज्वेलर भी इसी तलाश में रहते हैं.
इस तरह के पैन नंबर कई बार बेनामी ट्रांजेक्शन के लिए भी इस्तेमाल होते हैं. मकान के किराये की रसीद में भी इस तरह के पैन नंबर का इस्तेमाल होता है. दूसरों का पैन लेकर धोखेबाज तत्व गड़बड़ कर सकते हैं.
इनकम टैक्स अधिकारियों का कहना है कि पैन नंबर और टैन का इस्तेमाल ऐसी किसी जगह ना करें जो पब्लिक डोमेन में हो. यानी जहां उसके सार्वजनिक होने का खतरा हो. इससे धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है.