पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से हर कोई परेशान है. क्योंकि इसका असर हर किसी पर हो रहा है. लोगों की एक ही इच्छा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती हो. जनता सरकार की तरह उम्मीद भरी नजर से देख रही है. लेकिन सरकार ने पहले ही कीमतों को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. (Phoito: File)
दरअसल, पेट्रोल-डीजल के भाव रोज सुबह तेल कंपनियां तय करती हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में उतार-चढ़ाव के अनुसार देसी कंपनियां कीमतें तय करती हैं. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय संकेत मिल रहे हैं कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत की उम्मीद कम है. (Phoito: File)
अजरबैजान की ऑयल ट्रेडिंग कंपनी सोकार ट्रेडिंग एसए (Socar Trading SA) का अनुमान है कि अगले 18 से 24 महीने में बेंचमार्क ब्रेंट (Brent) ट्रिपल डिजिट को छू सकता है. यानी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ब्रेंट क्रूड यानी कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती हैं. (Phoito: File)
ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के भाव 100 रुपये लीटर ऊपर पहुंच जाए तो इसमें हैरानी नहीं होगी. यानी Petrol और Diesel के भाव और महंगे हो सकते हैं. फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 90.93 रुपये और डीजल 81.32 रुपये लीटर है. (Phoito: File)
वहीं बैंक ऑफ अमेरिका (Bank of America) ने भी अनुमान लगाया है कि अगले कुछ वर्षों में कच्चे तेल के भाव फिर से 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चला जाएगा. फिलहाल ब्रेंट क्रूड का भाव 66 डॉलर प्रति बैरल के करीब है. (Phoito: File)
दरअसल कोरोना संकट के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. कच्चे तेल के भाव 18 साल के सबसे निचले स्तर 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. उसके बाद लगातार तेजी जा रही है. शेयर बाजार के ऑप्शंस मार्केट में दिसंबर-2022 के लिए तेल की कीमतों पर 100 डॉलर से ऊपर के भाव पर दांव लगाया जा रहा है. (Phoito: File)
कीमतें बढ़ने के पीछे कई कारण
एशियाई देशों में तेल की डिमांड तेजी से बढ़ी है. वहीं रूस और सऊदी अरब सहित तेल उत्पादक देशों का संगठन OPEC ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की है. यानी जब उत्पादन कम होगा और डिमांड ज्यादा होगी तो भाव बढ़ना लाजिमी है. हालांकि Bloomberg की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 तक कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ही रहेगी. (Phoito: File)