केंद्र सरकार दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी मुद्दे पर कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हाल में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न नियामकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार किया गया. खबरों के मुताबिक यह हाईलेवल मीटिंग 24 जून को हुई थी.
दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान ऐलान किया था कि IDBI बैंक के अलावा अगले वित्त वर्ष में 2 और सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा. जिसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनेट सचिव की अगुवाई में विनिवेश पर सचिवों के समूह को निजीकरण के लिए कुछ बैंकों के नाम सुझाए थे.
अब खबर है कि सरकार ने निजीकरण के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) का चयन किया है. सूत्रों ने बताया कि 24 जून गुरुवार को कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हुई उच्चस्तरीय बैठक में नीति आयोग की सिफारिशों पर विचार किया गया.
सूत्रों के मुताबिक यह समिति इस बारे में सभी तरह की खामियों को दूर करने के बाद बाद छांटे गए सरकारी बैंकों का नाम विनिवेश के लिए मंत्री समूह या वैकल्पिक तंत्र (AM) को भेजेगी. सूत्रों ने कहा कि समिति ने निजीकरण की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़ मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया.
कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली समिति में आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व, व्यय, कॉरपोरेट मामलों कऔर विधि मामलों के अलावा प्रशासनिक विभाग के सचिव भी शामिल हैं. समिति में सार्वजनिक उपक्रम विभाग और लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव भी शामिल हैं.
वैकल्पिक तंत्र की मंजूरी के बाद इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण के लिए जरूरी नियामकीय बदलाव किए जाएंगे.
सरकार शुरुआत में छोटे बैंकों के निजीकरण पर मुहर लगा सकती है. इससे ये पता चल जाएगा कि निजीकरण के दौरान किस तरह की समस्याएं आती हैं. छोटे बैंकों के निजीकरण में जोखिम थोड़ा कम होगा. इसलिए इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम सामने आ रहा है.
गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसका ऐलान किया था. 2020-21 के लिए सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश टारगेट रखा था, जो हासिल नहीं हो पाया था.
सरकार ने बजट में IDBI बैंक के अलावा दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी. अभी देश में 12 पब्लिक सेक्टर बैंक हैं. कुछ बैंकों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर बैंकों की आर्थिक सेहत खराब है, और मदद की स्थिति में नहीं है. (पीटीआई इनपुट के साथ)