केंद्र सरकार भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी और पेट्रोलियम कंपनी BPCL में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है. सरकार को भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) की हिस्सेदारी खरीदने के लिए तीन शुरुआती बोलियां मिली हैं.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को बताया कि BPCL के निजीकरण के लिए तीन कंपनियों ने रुचि पत्र यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जमा कराया है. उन्होंने कहा कि शुरुआती बोली की जांच के बाद जिन कंपनियों का चयन होगा, उन्हें सेकेंड राउंड में फाइनेंशियल बिड के लिए कहा जाएगा.
खनन से लेकर तेल क्षेत्र में कार्यरत वेदांता ने 18 नवंबर को इस बात की पुष्टि की है कि उसने बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए रुचि पत्र (EOI) दिया है. BPCL के लिए बोली लगाने वाली दो अन्य कंपनियों में अमेरिका की दो कंपनियां शामिल हैं. इनमें से एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है.
धर्मेंद्र प्रधान ने स्वराज्य पत्रिका द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दीपम ने हाल में इसके बारे में शेयर बाजार को सूचित किया है. हालांकि उन्होंने इसका और ब्यौरा नहीं दिया.
इस रणनीतिक बिक्री का प्रबंधन कर रहे निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने 16 नवंबर को बोली की अंतिम तारीख के दिन ट्वीट किया. 'सौदे के सलाहकार ने सूचित किया है कि इस रणनीतिक बिक्री के लिए कई पक्षों ने रुचि दिखाई है.'
धमेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ कंपनियों का निजीकरण करने की योजना बना रही है. इससे इन कंपनियों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर होगी और उन्हें पेशेवर बनाया जा सकेगा. बीएसई में सूचीबद्ध वेदांता लि. और उसकी लंदन की मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज द्वारा गठित विशेष इकाई (एसपीवी) ने 16 नवंबर को बोली की समयसीमा समाप्त होने से पहले अपना ईओआई जमा कराया है.
हालांकि, BPCL में हिस्सेदारी खरीदने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सऊदी अरामको, ब्रिटिश पेट्रोलियम और टोटल जैसी बड़ी तेल कंपनियों ने बोलियां नहीं लगाई हैं. RIL ने सोमवार को रुचि पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि तक अपने प्रस्ताव जमा नहीं कराए. जबकि, कंपनी को सबसे प्रमुख दावेदार माना जा रहा था.