Zomato, Paytm या Mobikwik जैसे स्टार्टअप के आईपीओ देश में पहली बार लॉन्च हो रहे हैं. इसके अलावा Flipkart और Ola जैसी कंपनियां भी आईपीओ लाने की कतार है. इसने निवेशकों के बीच कौतूहल पैदा किया है. लेकिन एक निवेशक के तौर पर आपको इसके लिए हड़बड़ी दिखाने से बचना चाहिए.
हाल में Zomato जैसे स्टार्टअप का IPO आया और बाजार से इसे जबरदस्त रिस्पांस भी मिला. इसका आईपीओ 40 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ. लेकिन एक्सपर्ट स्टार्टअप के आईपीओ में निवेश करने से पहले ये सावधानियां बरतने के लिए कहते हैं.
इक्विटीमास्टर की रिसर्च को-हेड तनुश्री बनर्जी कहती हैं कि ये अच्छी बात है कि Zomato जैसे स्टार्टअप के आईपीओ में निवेशक रुचि दिखा रहे हैं. लेकिन रिटेल इंवेस्टर्स को ध्यान रखना चाहिए कि इनसे जुड़े जोखिम बाजार के पुराने अनुभवों से अलग हैं. (Photo : Getty)
Zomato हो या Paytm और Mobikwik, बड़े नाम आपको हमेशा अच्छा रिटर्न देने की गारंटी नहीं दे सकते. आपको 2008 में आया Reliance Power का IPO याद है, जब आईपीओ खुलने के पहले मिनट में ही ये पूरा सब्सक्राइब हो गया था.
Reliance Power के आईपीओ की रिटेल इन्वेस्टर में बहुत डिमांड थी. कंपनी ने इसके लिए अपर बैंड इश्यू प्राइस 430 रुपये फिक्स किया था और लिस्टिंग होने पर इसे अच्छी बढ़त मिली थी. लेकिन तब का दिन है और अब का दिन इसका शेयर आजतक लिस्टिंग प्राइस से ऊपर नहीं गया और अभी ये 13 रुपये प्रति शेयर पर है. (Photo : Getty)
पारंपरिक कारोबार करने वाली कंपनियों के IPO में निवेश के दौरान निवेशक के पास प्रॉफिट और बैलेंसशीट का डेटा होता है. लेकिन देश में अधिकतर टेक यूनिकॉर्न कंपनी घाटे में कारोबार रही हैं और इनकी फंडिंग का मुख्य सोर्स इनकी वैल्यूएशन है.
अगर Zomato की ही बात करें, तो पिछले तीन साल में इसका घाटा 4,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा है. हालांकि कंपनी का रिवेन्यु 50% तक बढ़ा है. अगर भविष्य के हिसाब से सोचें तो रिवेन्यू का बढ़ना ज्यादा मायने रखता है, लेकिन घाटे का जोखिम अभी तो बना हुआ है.
ऐसा नहीं है टेक स्टार्टअप में निवेश करने वालों को ये बात नहीं पता है. सब जानते हैं कि नई कंपनियां शुरुआत में पैसा बाजार में झोंकती हैं और निवेशक असल में उनके ग्रोथ के अनुमान और हाई-वैल्यूएशन को देखकर पैसा इन्वेस्ट करते हैं. Facebook, Alibaba, Amazon और Twitter तक के मामले में ये स्ट्रैटजी काम आई है.
तनुश्री बनर्जी कहती हैं कि इन सभी स्टार्टअप कंपनियों ने शुरुआत में काफी नुकसान किया, लेकिन तेजी से वृद्धि की, लेकिन बाद में सब प्रॉफिटेबल कंपनियां बन गईं. लेकिन यूनिकॉर्न स्टार्टअप का यूं नुकसान में चलना कई-कई सालों तक लंबा खिंच सकता है. उस स्थिति में रिटेल इंवेस्टर्स का धैर्य जवाब दे सकता है. (Photo : Getty)