केंद्र सरकार ने वित्त-वर्ष 2021-22 में निजीकरण और विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सरकार की विनिवेश की लिस्ट में सबसे ऊपर तेल कंपनी BPCL का नाम है. यह देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी कंपनी है.
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में सरकार की 52.98 फीसदी है और सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है. इसी कड़ी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक मसौदा तैयार किया है. जिसके तहत तेल एवं गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेश निवेश (FDI) पर विचार किया जा रहा है.
पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जिन सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश के लिए सैद्धान्तिक मंजूरी मिल चुकी है, उनके लिए यह मसौदा जारी किया गया है. अगर इस कदम को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है, तो फिर बीपीसीएल के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा.
दरअसल, सरकार BPCL का निजीकरण करने जा रही है. इसके तहत सरकार कंपनी में अपनी समूची 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. सूत्रों ने बताया कि नोट के मसौदे के अनुसार, एफडीआई नीति में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र के तहत एक नया प्रावधान जोड़ा जाएगा.
प्रस्ताव के अनुसार, जिन पीएसूय के विनिवेश के लिए सरकार की ओर से सैद्धान्तिक मंजूरी दी जा चुकी है उनमें 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी जाएगी. BPCL के वर्तमान मार्केट कैप के हिसाब से सरकार को 52.98 फीसदी हिस्सेदारी के लिए बदले करीब 53 हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
गौरतलब है कि बीपीसीएल के निजीकरण के लिए खनन से तेल क्षेत्र में कार्यरत वेदांता ने सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए रुचि पत्र (ईओआई) दिया है. अन्य दो बोलीदाता ग्लोबल फंड हैं. इनमें से एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है.