आज के समय में बीमा यानी इंश्योरेंस (Insurance) बेहद अहम हो गया है और कोरोना काल के बाद से लोगों को इसकी अहमियत अच्छे से समझ भी आ गई है. जहां लोग किसी बीमारी के इलाज के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, तो वहीं अपने बाद परिवार की आर्थिक सुरक्षा के मद्देनजर टर्म प्लान खरीदते हैं. लेकिन Term Plan लेते समय कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है, जी नहीं हम आज इसके बेनेफिट्स के बारे में नहीं, बल्कि उन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वजह से क्लेम मिलने में दिक्कत पेश आ सकती है, क्योंकि टर्म इंश्योरेंस के बारे में ये समझना आवश्यक है कि इसमें हर तरह की डेथ पर कवर नहीं दिया जाता है.
टर्म इंश्योरेंस असल में जीवन बीमा
सबसे पहले समझ लेते हैं कि आखिर टर्म इंश्योरेंस है क्या और इसकी जरूरत क्यों है? तो बता दें Term Insurance ही सही मायने में जीवन बीमा पॉलिसी होता है. जो पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर उसके परिवार को वित्तीय परेशानियों से दूर रखने के लिए मददगार होता है. यदि पॉलिसी के टेन्योर पीरियड के दौरान पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु होती है, तो डेथ कवर की पूरी उसके नॉमिनी को दे दी जाती है. एक्सपर्ट्स भी लोगों को परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए अच्छे कवर के साथ टर्म प्लान लेने की सलाह देते हैं.
प्लान लेते समय कवर के हर पहलू पर करें गौर
Term Plan लेने का मन बना रहे हैं, तो फिर इसे लेने से पहले आपको इससे संबंधित हर नियम के बारे में हर एक जानकारी होना जरूरी है. जैसा कि ऊपर बताया गया है कि टर्म प्लान हर तरह की डेथ कवर नहीं करता है. दरअसल, इमें पॉलिसीधारक की मृत्यु पर क्लेम की राशि परिवार को तभी मिलती है, जबकि ये डेथ प्लान में शामिल किए गए कारणों के चलते हुई होती है. इससे बाहर के कारणों के चलते होने वाली मौत के मामले में बीमा कंपनी क्लेम देने से साफ इनकार कर सकती है. Term Insurance के तहत नेचुरल डेथ, हेल्थ इश्यू के चलते मृत्यू या फिर एक्सीडेंटल डेथ होने पर बीमा कंपनी क्लेम देती है. जानते हैं यहां प्लान के तहत किन 8 बड़े कारणों के चलते कवर नहीं दिया जाता है.
पहला कारण
टर्म प्लान (Term Plan) लेने वाले व्यक्ति को एक्सीडेंट डेथ कवर दिया जाता है लेकिन ये उन मामले में मान्य नहीं होता है, जबकि पॉलिसी धारक की किसी भी तरह के नशे की हालत में ड्राइविंग (Drink And Drive) के दौरान मृत्यु हो जाती है.
दूसरा कारण
अगर पॉलिसी होल्डर को नशे या फिर अन्य किसी तरह के ड्रग्स की लत लग गई है और इस कारण से उसकी मौत हो जाती है. तो फिर बीमा कंपनी टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से इंकार कर सकती है. भले व्यक्ति की ड्रग्स या शराब के ओवरडोज से या फिर नशे में वाहन चलाने के दौरान हुई हो.
तीसरा कारण
अगर टर्म प्लान लेने वाले व्यक्ति की मौत का कारण किसी भी तरह का खतरनाक खेल या स्टंट होता है, तो क्लेम की राशि अटक सकती है. इनमें कार-बाइक रेसिंग, स्काई डाइविंग, स्कूबा डाइविंग, पैरा ग्लाइडिंग और बंजी जंपिंग जैसे स्टंट शामिल हैं. मतलब अगर पॉलिसीधारक एडवेंचर्स गेम का शौकीन है और किसी खतरनाक गतिविधि के दौरान मृत्यु हो जाए तो टर्म प्लान का क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा.
चौथा कारण
टर्म प्लान खरीदते समय पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति को नॉमिनी बताना होता है, जिसे उसकी मौत के बाद कवर की पूरी राशि दी जाती है. पॉलिसी अवधि के दौरान अगर Policy Holder की हत्या हो जाती है और इसकी पुलिस जांच के दौरान मामले में नॉमिनी का हाथ होना साबित होता है या फिर नॉमिनी पर हत्या का आरोप सिद्ध होता है, तो फिर इस मामले में कंपनी टर्म प्लान की क्लेम रिक्वेस्ट को तब तक के लिए रोक देती है, जब तक नॉमिनी को क्लीन चिट नहीं मिल जाती.
पांचवां कारण
अगर आप Term Policy ले रहे हैं, तो कंपनी को अपने बारे में पूरी जानकारी दें, किसी भी गंभीर बीमारी के बारे में ना छुपाएं. आमतौर पर लोग किसी बीमारी के बारे में जानकारी शेयर करने के लिए इसलिए बचते हैं कि कहीं उनका प्रीमियम ना बढ़ जाए, या फिर पॉलिसी लेने में कोई दिक्कत पेश ना आए. लेकिन ये गलती भारी पड़ सकती है. दरअसल, अगर टर्म पॉलिसी लेने से पहले से पॉलिसीधराक को कोई गंभीर बीमारी है और उसने पॉलिसी लेते हुए इसकी जानकारी बीमा कंपनी को नहीं दी तो उस बीमारी से मौत होने पर Insurance Company क्लेम रिजेक्ट कर सकती है. बता दें एचआईवी/एड्स से हुई मृत्यु के मामले में भी टर्म प्लान में कवर देने का प्रावधान नहीं होता है.
छठा कारण
टर्म प्लान के तहत किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा की चपेट में आकर अगर किसी पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है, तो ऐसे मामलों में बीमा कंपनियां नॉमिनी को क्लेम की राशि नहीं देती है. इन प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, तूफान और भूस्खलन समेत अन्य आपदाएं शामिल होती हैं. बीमा कंपनियां पॉलिसी देते समय एक नोट में साफतौर पर नोटिफाई कर देती हैं, कि पृथ्वी की हलचल (भूकंप) के कारण होने वाली किसी भी प्रकार की क्षति को पॉलिसी द्वारा कवर नहीं किया जाएगा.
सातवां कारण
अगर टर्म इंश्योरेंस लेने वाला व्यक्ति किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है और इस बारे में बीमा कंपनी को जानकारी नहीं है. ऐसे मामलों को संज्ञान में लेते हुए बीमा नियामक इरडा (IRDA) के नियम बनाए हुए हैं. जिनके मुताबिक पॉलिसीधारक किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त हो, और फिर उसकी हत्या किसी आपराधिक गतिविधि के दौरान हो जाती है, तो फिर क्लेम की राशि नहीं मिल पाती है.
आठवां कारण
टर्म प्लान के तहत मृत्यु के जिन मामलों में कवर नहीं दिया जाता है, उनमें से एक ये भी है कि अगर पॉलिसीधारक एक महिला है और बच्चे को जन्म देने के दौरान उसकी मौत हो जाती है तो इस स्थिति में बहुत संभावना इस बात की रहती है कि नॉमिनी को क्लेम की राशि नहीं मिल पाती. क्योंकि आम टर्म पॉलिसी में इसे कवर नहीं किया जाता है.