महंगाई के दानव ने लोगों की रोजमर्रा कि जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है. एक तरफ तो हर बार खरीदारी करने में जेब से ज्यादा पैसा निकालना पड़ता है तो दूसरी तरफ बैंक में रखी उनकी जमापूंजी भी लगातार घट रही है. ऐसे में लोगों को महंगाई की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है.
महंगाई दर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की खबर सोमवार से हर जगह छाई हुई है. आम आदमी तो करीब-करीब हर रोज खरीदारी करते समय या पेट्रोल-डीजल भरवाते वक्त इस दर्द से दो-चार हो जाता है. आंकड़ों में तो इस खबर को खूब विस्तार से बताया जा चुका है. लेकिन खरीदारी करते वक्त जो जेब से ज्यादा रुपये निकलते हैं, उसके अलावा ये कैसे आपको चोट पहुंचा रही है. जरा उसको भी समझ लेते हैं.
महंगाई दर के असर से बैंकों या घर में रखे पैसों की वैल्यू घट जाती है, यानी बैंकों में जमा रकम पर मिलने वाला ब्याज भी महंगाई दर से कम हो गया है और मूल पर ब्याज मिलने के बावजूद जो वैल्यू होगी वो ज्यादा महंगाई दर के साए में मूल रकम से भी कम रह जाएगी. खरीदारी करने में आपको पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं, यानी पहले जो आप सामान 100 रुपये में खरीदते थे वो अब 106 से 112 रुपये में आएगा.
आरबीआई पर ब्याज दरों को घटाने की जगह बढ़ाने का दबाव रहेगा, जिससे होम लोन समेत तमाम तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे. जब कर्ज महंगा होगा तो लोग उधार लेकर खरीदारी नहीं करेंगे, जिससे घर और गाड़ियां कम बिकेंगे और इकोनॉमी में ग्रोथ की संभावना कम हो जाएगी.
कारोबारी भी कर्ज लेकर निवेश नहीं करेंगे यानी नए कारोबार शुरू नहीं होंगे. मौजूदा कारोबार का विस्तार नहीं होगा और रोजगार के मौके बढ़ने की जगह घट जाएंगे. यानी महंगाई दर किसी भी देश की पॉलिसी के लिए सबसे बड़ा पैमाना है. आरबीआई भी लगातार इसका जिक्र करता आया है और अब रिटेल महंगाई दर के 6.3 फीसदी पर पहुंचने से ये आरबीआई के कम्फर्ट जोन से बाहर हो गई है.
दरअसल, इस वक्त खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतें हैं. जानकारों का भी मानना है कि सरकार को अब महंगाई पर लगाम लगाने के लिए युद्धस्तर पर काम करना होगा.
वहीं खाने के तेल की कीमतों ने भी आम आदमी की नाक में दम किया हुआ है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि इसकी बढ़ोतरी की बड़ी वजह विदेशों में हुआ इजाफा है. गौरतलब है कि खुदरा महंगाई दर मई में 6.3 फीसदी हो गई है. जबकि अप्रैल में 4.23 फीसदी थी. यानी अप्रैल के मुकाबले मई में खाने-पीने की चीजें महंगी हुईं.