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यूटिलिटी

एक और सरकारी कंपनी पर लटका ताला, सरकार ने कहा- घाटे में थी, लेना पड़ा फैसला!

 एक और सरकारी कंपनी पर लटका ताला
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एक और सरकारी कंपनी को बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लंबे समय से घाटे में चल रहे हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम्स एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (HHEC) को बंद करने का फैसला ले लिया गया है. (Photo: File)

घाटे में थी कंपनी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्त्र मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एचएचईसी) को बंद करने की स्वीकृति दे दी है. (Photo: File)

संचालन का खर्चा भी नहीं निकाल पा रही थी कंपनी
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वित्त वर्ष 2015-16 से हैंडलूम्स एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन लगातार घाटे में चल रहा था, और अपने संचालन खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं जुटा पा रहा था. सरकार का कहना है कि इस कंपनी को फिर से खड़ा करने की भी संभावना बहुत ही कम थी, इसलिए कंपनी को बंद करना जरूरी था. (Photo: File)

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कर्मचारियों को मिलेगा VRS
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कॉरपोरेशन में 59 स्थाई कर्मचारी हैं और 6 मैनेजमेंट ट्रेनी हैं. सभी स्थाई कर्मचारियों और मैनेजमेंट ट्रेनी को सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा निर्धारित तौर-तरीकों के अनुसार स्वैच्छिक अवकाश प्राप्ति योजना (VRS) का लाभ उठाने का अवसर दिया जाएगा. (Photo: File)

एचएचईसी को बंद करने के इस फैसले से सरकारी खजाने में बचत होगी
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एचएचईसी को बंद करने के इस फैसले से सरकारी खजाने में बचत होगी. इससे बीमार सीपीएसई पर वेतन/भत्‍तों के खर्च में कमी आएगी. यह एक ऐसा सार्वजनिक उपक्रम है जो परिचालन में नहीं है और इससे कोई आय भी नहीं हो रही है. (Photo: File)
 

कारोबार का कारोबार
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HHEC, भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के अधीन आने वाली कंपनी है. यह कंपनी भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय हथकरघा, भारतीय सजावट, भारतीय उपहार, भारतीय प्राचीन वस्तुएं, चमड़े की सजावट, रत्न और आभूषण, चमड़े की सजावट, लोहे के हस्तशिल्प से कारोबार जुड़ी है.  (Photo: File)
 

कंपनी का गठन साल 1958 में हुआ था
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इस कंपनी का गठन साल 1958 में हुआ था, और मकसद भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय हथकरघा, भारतीय सजावट, भारतीय उपहार, भारतीय प्राचीन वस्तुएं, चमड़े की सजावट, रत्न और आभूषण और चमड़े की सजावट जैसे प्रोडक्ट्स को दुनियों के बाजार तक पहुंचाना था. (Photo: File)

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