कोरोना की दूसरी लहर के बीच म्यूकॉरमाइकोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. म्यूकॉरमाइकोसिस को आम भाषा में ब्लैक फंगस भी कहा जाता है. इसके अलावा व्हाइट और येलो फंगस के भी मामले सामने आए हैं. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस इसके इलाज को कवर करता है, कौन-कौन से इंश्योरेंस इसे कवर करते हैं और कौन से नहीं...
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पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस प्रमुख अमित छाबड़ा का कहना है कि कोरोना काल में कई बीमा कंपनियों ने कोविड स्पेशल हेल्थ इंश्योरेंस की पेशकश की थी. कई लोगों ने इन्हें हाथों हाथ लिया, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि ये पॉलिसी फंगल इंफेक्शन के इलाज को कवर नहीं करती है. क्या कोरोना कवच या रक्षक करती हैं कवर?
कोरोना काल में IRDAI ने दो सरल कोविड-19 पॉलिसी पेश की थी. कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम की इन दो पॉलिसियों को सभी बीमा कंपनियों से बेचने के लिए कहा गया. लेकिन ये पॉलिसियां भी ब्लैक या अन्य तरह के फंगस के इलाज को कवर नहीं करती, बल्कि सिर्फ कोविड-19 या उससे जुड़े इलाज के खर्चों को कवर करती है. कौन सी पॉलिसी करती है कवर? (File Photo : Aajtak)
जब कोरोना स्पेशल पॉलिसी ब्लैक या अन्य फंगस के इलाज को कवर नहीं करती तो कौन सी पॉलिसी करती है. तो हम आपको बतों दें कि आपका कंप्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस फंगल इंफेक्शन के इलाज को कवर करता है. इसलिए आपको कोई अलग हेल्थ् इंश्योरेंस लेने की जरूरत नहीं. लेकिन क्या शर्तें होंगी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए?
पॉलिसी बाजार के अमित छाबड़ा कहते हैं कि यदि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नई है, तो बीमा म्यूकॉरमाइकोसिस के इलाज को 30 दिन बाद ही कवर करेगा जैसा अन्य बीमारियों के संदर्भ में होता है. यानी आपको 30 दिन का वेटिंग पीरियड मानना ही होगा.
ब्लैक या अन्य फंगस के 1.5 लाख रुपये तक के इलाज खर्च को महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं जैसे कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना में शामिल किए जाने का निर्णय किया है. वहीं राजस्थान सरकार ने चिरंजीव योजना इंश्योरेंस स्कीम में निजी अस्पतालों में इलाज की अधिकतम दरें तय की है. (File Photo : Aajtak)
हेल्थ इंश्योरेंस ब्लैक या अन्य फंगस के इलाज को कवर करेंगे इसकी पुष्टि खुद स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर एस. प्रकाश ने की है. उनका कहना है, ‘‘ बीमा कंपनियां फंगल इंफेक्शन के नाम पर लोगों को क्लेम देने से मना नहीं कर सकती. माना कि इसका इलाज महंगा है लेकिन बीमा कंपनियों को इसे कवर करना ही होगा.’ क्या रिजेक्ट हो सकता है क्लेम?
डॉक्टर प्रकाश कहते हैं कि ब्लैक फंगस के कुछ मामलों में क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है. यह क्लेम कुछ विवादास्पद सर्जरी के चलते रिजेक्ट हो सकता है जैसे कि बीमित व्यक्ति की कोई सर्जरी होनी नहीं थी फिर भी उसे किया गया.
ब्लैक फंगस के बढ़ते खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्टार हेल्थ को हर दिन लगभग 2,000 कोरोना से जुड़े क्लेम आ रहे हैं. इनमें से 90 प्रतिशत किसी ना किसी फंगस के इलात से जुड़े हैं. फंगल इंफेक्शन के बढ़ते खतरे को देखते हुए कई राज्यों ने इसे भी महामारी घोषित कर दिया है.