Heranba की बैलेंसशीट काफी आकर्षक है. पिछले तीन साल में कंपनी की आय सालाना आधार पर 13.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी का EBITDA 21.4% और शुद्ध लाभ 44.4% बढ़ा था.
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Heranba फसल सुरक्षा से जुड़े रसायन का कारोबार करती है. वहीं synthetic pyrethroids बनाने वाली वह प्रमुख घरेलू कंपनियों में से एक है जिसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 20% है. कंपनी के देशभर में 9,400 डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर हैं. देश के 16 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में कंपनी के 21 डिपो भी हैं.
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Heranba देश की प्रमुख कीटनाशक निर्यातक कंपनियों में से एक है. वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी की कुल आय में निर्यात की हिस्सेदारी 48% थी. कंपनी की कुल निर्यात आय में से करीब 73% शीर्ष 10 देशों से आया और इसमें भी सबसे अधिक हिस्सेदारी 28% चीन से आए राजस्व की रही.
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हालांकि Heranba का कानूनी विवादों के साथ पुराना इतिहास रहा है. कंपनी, उसके प्रवर्तकों और कुछ निदेशकों को पूर्व में कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा है. कंपनी के निदेशक सदाशिव के. शेट्टी, रघुराम के. शेट्टी, सुजाता एस. शेट्टी ओर वनिता आर. शेट्टी पर कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 164(2) के तहत निदेशक के तौर पर काम करने से रोक लगाई जा चुकी है. 30 जून 2016 से 31 दिसंबर 2017 के बीच कंपनी की सहयोगी कंपनी शक्ति बायो साइंसेस को कॉसमोस बैंक ‘विलफुज डिफॉल्टर’ भी बता चुका है.
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Heranba ने IPO के माध्यम से 625 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उसने प्रति शेयर कीमत 626 से 627 रुपये रखी है. कंपनी का IPO आज खुला है और 25 फरवरी 2021 को बंद होगा. निवेशकों को सब्सक्राइब किए गए शेयर का आवंटन 4 मार्च तक होने की संभावना है.
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कई विश्लेषकों का मानना है कि लघु अवधि में मुनाफावसूली के लिए Heranba का IPO अच्छा विकल्प हो सकता है.सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च की प्रमुख निराली शाह ने कहा कि कंपनी की लगभग आधी आय निर्यात से होती है जो उसे स्थानीय बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने में मददगार है. वहीं synthetic pyrethroids के बाजार में उसकी 20% की हिस्सेदारी उसे एक अच्छा दावेदार बनाती है.
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