भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी बिसलेरी (Bisleri) को नया मालिक मिलने वाला है. अभी तक इसका नेतृत्व कर रहे रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) ने इसे बेचने का फैसला कर दिया है. खबरों की मानें तो Tata Group के साथ इसकी डील भी हो गई है. खास बात ये है कि इसे 1669 में चौहान बिजनेस फैमिली द्वारा महज 4 लाख रुपये में खरीदा गया था और 2022 में इसका सौदा 6,000-7,000 करोड़ रुपये में होने का अनुमान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बोतलबंद पानी के क्षेत्र में अव्वल बिसलेरी की शुरुआत कैसे हुई? ये बड़ी ही दिलचस्प कहानी है, जिसे जानना आपके लिए जरूरी है.
सबसे लोकप्रिय पैकेज्ड वाटर ब्रांड
Bisleri ब्रांड का नाम भारत में इतना लोकप्रिय हो चुका है कि बोतलबंद पानी खरीदने के लिए खरीदार के लिए सामान्य बोलचाल में इसे ही इस्तेमाल करते हैं. यह 8 पैक साइज में बाजार में उपलब्ध है. इसकी 250ML, 500ML, 1Liter, 1.5liter, 2Liter, 5liter और 20Liter बोतल मिलती हैं. पैकेज्ड वाटर के संगठित बाजार में बिसलेरी की हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी है. कंपनी की कमान फिलहाल 82 वर्षीय रमेश चौहान के हाथों में है.
इटली से भारत आई थी Bisleri
बिसलेरी के इतिहास के बारे में बताएं तो यह मूलत: एक इतालवी (Italy) कंपनी है और ये शुरुआत में पानी नहीं बेचती थी. बल्कि बिसलेरी एक फार्मास्युटिकल कंपनी थी, जो मलेरिया (Maleria) की दवा बेचती थी. इसके संस्थापक इटली के बिजनेसमैन Felice Bisleri थे. उनकी मौत के बाद उनके फैमिली डॉक्टर रॉसी ने बिसलेरी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाई थी. भारत में इसे पहुंचाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है. दरअसल, फेलिस ने बिसलेरी नाम से पानी बेचने का प्लान बनाया गया था. उनके इस प्लान डॉक्टर रॉसी ने भारत में अपने पहचान वाले खुशरू संतकू नामक वकील के साथ मिलकर बिसलेरी को पानी का कारोबार करने के लिए लॉन्च किया था.
पानी की बिक्री पर ये थी लोगों की राय
60 के दशक में जब इसकी भारत में एंट्री हुई थी, उस वक्त पैकेज्ड वाटर बेचने के बारे में सोचना भी पागलपन जैसा ही था. क्योंकि लोगों को उस समय लगता होगा कि आखिर कौन बोतल बंद पानी खरीद कर पीएगा? लेकिन रॉसी अपने प्लान पर कायम रहे और अपना काम जारी रखा. साल 1965 में उन्होंने Mumbai के ठाणे में पहला 'बिसलेरी वॉटर प्लांट' स्थापित किया था. उस समय मुंबई में कांच की बोतलों में पानी बेचना शुरू किया गया था. इन्हें बिसलेरी बब्ली और बिसलेरी स्टिल के तौर पर बाजार में उतारा गया.
कांच की बोतलों में बिकता था पानी
1969 में पारले (Parle) ने बिसलेरी (इंडिया) लिमिटेड को खरीद लिया और 'Bisleri' ब्रांड नाम के अंतर्गत कांच की बोतलों में ही पानी बेचना जारी रखा. कारोबार में बढ़ोतरी के साथ पार्ले ने PVC नॉन-रिटर्न बोतलों की तरफ अपना रुख किया और PET Conteners इस्तेमाल किए. 1995 में रमेश जे चौहान ने बिसलेरी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी संभाली. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रमेश चौहान ने बिसलेरी को इस मकसद से खरीद लिया कि इस ब्रांड को वे सोडा ब्रांड में तब्दील करेंगे और उन्होंने ये किया भी, लेकिन बोतलबंद पानी वाले दोनों ब्रांड्स 'बब्ली' और 'स्टिल' को बंद नहीं किया.
Bisleri आज है सबसे बड़ा ब्रांड
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पारले ने बिसलेरी को उस समय महज 4 लाख रुपये में खरीदा था और इसके सिर्फ 5 स्टोर थे. वहीं आज देश में पैकेज्ड वाटर का मार्केट 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. इसमें से 60 फीसदी हिस्सा असंगठित है. बिस्लेरी की संगठित बाजार में हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी है. वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, आज देश में बिसलेरी के 122 से अधिक ऑपरेशनल प्लांट हैं. जबकि पूरे भारत में लगभग 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है.