भारत में रहने वाले लोगों को तो आयकर देना होता है, लेकिन हम कई बार इस कन्फ्यूजन में रहते हैं कि क्या NRIs को भी इनकम टैक्स देना होता है? यदि हां तो उन पर ये टैक्स किस हिसाब से लगाया जाता है, जानें हर डिटेल यहां
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देश के आयकर कानून के हिसाब से NRIs को इनकम टैक्स देना होता है. लेकिन ये कर उन्हें देश के भीतर की गई कमाई पर ही देना होता है. हालांकि NRIs पर लगने वाले इनकम टैक्स की दर इस बात पर निर्भर करती है कि उनकी आय का स्रोत क्या है.
देश में NRIs पर इनकम टैक्स TDS (स्रोत पर कर कटौती) के दायरे में आता है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति किसी NRI को कोई भुगतान करता है तो उसे पहले ही TDS काटना होता है. क्या NRIs रिटर्न फाइल कर सकते हैं या रिफंड ले सकते हैं?
मिंट की खबर के मुताबिक आयकर कानून के हिसाब से अगर किसी NRI का TDS ऊंची दर से कटता है तो वह रिफंड क्लेम कर सकते हैं. रिफंड क्लेम करने के लिए NRIs को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है.
अगर NRIs की भारत में कमाई का जरिया अनलिस्टेड शेयर, लिस्टेड डेब्ट म्यूचुअल फंड, अनलिस्टेड डेब्ट म्यूचुअल फंड, बांड या डिबेंचर, गोल्ड और रियल स्टेट है और उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन मिला है तो इन मामलों में TDS 30% की दर से कटेगा. वहीं इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लगेगा.
देश में अगर NRIs को लिस्टेड शेयर, इक्विटी म्यूचुअल फंड इत्यादि से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है तो उसका TDS 15% की दर से कटेगा, वहीं इस आय पर उसे 15% कर देना होगा.
NRIs को अगर देश में कमाई पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मिलता है तो उनकी आय के अलग-अलग स्रोत के आधार पर कर की अलग-अलग दर लगती है. वहीं TDS भी अलग-अलग दर से कटता है.
NRIs को अपनी आय के स्रोत के हिसाब से लंबी अवधि में होने वाले कैपिटल गेन पर 10% से लेकर 20% तक कर देना होता है. इसके लिए TDS की दर भी 10% से लेकर 20% तक होती है.
NRIs पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर किस दर से इनकम टैक्स लगेगा. इसमें सबसे बड़ा फैक्टर समयावधि का है. ये समयावधि एक साल से लेकर 3 साल (यानी 12 महीने से लेकर 36 महीने) में हुए कैपिटल गेन की हो सकती है.