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यूटिलिटी

ITR में जरूरी है इन 5 तरह की इनकम बताना, वरना आ सकता है नोटिस

इनकम टैक्स रिटर्न
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इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की तारीख नजदीक आ रही है. अगर आप इनकम टैक्स (Income Tax Return) के दायरे में आते हैं, तो आईटीआर भरने के दौरान कुछ चीजों का ध्यान रखना काफी अहम है. अक्सर लोग छोटी-छोटी डिटेल्स पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और बाद में इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) उन्हें नोटिस थमा देता है. इसलिए अगर आप भी आईटीआर फाइल करने जा रहे हैं, इन पांच बातों का जरूर ध्यान रखें.

बच्चों के नाम पर किए निवेश से इनकम
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अगर आपने अपने बच्चों के नाम पर निवेश किया है, तो इस बारे में आईटीआर दाखिल करने के दौरान बताना पड़ता है. आमतौर पर नाबालिग बच्चे के नाम पर बैंक अकाउंट खुल जाता है, लेकिन इनमें माता-पिता अभिभावक के तौर पर रहते हैं. अगर आपको अपने बच्चे के नाम पर किए निवेश से ब्याज मिल रहा है, तो इसे आपके इनकम के साथ जोड़ा जाएगा. इसलिए माता-पिता को इसे अपने इनकम में दिखाना होता है. नाबालिग की इनकम के जोड़ने पर 1,500 रुपये के डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं. 
 

टैक्स फ्री इनकम
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इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त उस इनकम को भी दिखाना होता है. मान लीजिए कि आपके पास आपने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश किया है, तो इस पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होती है. लेकिन आपको आईटीआर के फॉर्म में इस बारे में जानकारी देनी होगी. रिटर्न में इसके लिए जगह दिया रहता है, जहां आपको ऐसी इनकम दिखानी होती है. 

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सेविंग अकाउंट पर ब्याज
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टैक्सपेयर्स कई बार रिटर्न दाखिल करते समय सेविंग बैंक अकाउंट से मिलने वाले ब्याज की कमाई को दिखाना भूल जाते हैं. उन्हें लगता है कि इस छोटी कमाई से क्या ही फर्क पड़ेगा. लेकिन ऐसा नहीं है. इस तरह की कमाई को भी आईटीआर में दिखाना जरूरी है. रिटर्न में दिखाने के बाद सेक्शन 80TTA के तहत सालाना 10,000 रुपये तक डिडक्शन के तौर पर क्लेम करना होगा.

विदेशी निवेश की जानकारी
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अगर आप विदेशी निवेश करते हैं, जो डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स या फॉरेन फंड्स या हाउस प्रॉपर्टी के रूप में हो सकता है. फिर इस तरह के निवेश के बारे में आपको आईटीआर भरते वक्त बताना होगा. साथ ही होल्डिंग्स से होने वाली कमाई को भी दिखाना होगा. टैक्सपेयर्स को इस बारे में खास ध्यान देना चाहिए.

एक्चुअल इनकम की जानकारी
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ब्याज से होने वाली कुल इनकम यानी Accrued interest. ये वो इनकम है, जो कमाई जाती है लेकिन मिलती नहीं है. ये कम्युलेटिव डिपॉजिटव या बॉन्ड से मिलने वाली ब्याज है, जिसका भुगतान सिर्फ मैच्योरिटी पर किया जाता है. इस तरह की कमाई पर TDS लिया जा सकता है. इसलिए जरूरी है कि निवेश को आईटीआर में दिखाया जाए.

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