भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेटीएम, फोनपे, गूगल पे और मोबिक्विक जैसे सभी लाइसेंस प्राप्त प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPI) को वित्त वर्ष 2022-23 से इंटरऑपरेबल बनने के लिए सर्कुलर जारी किया है. इन सभी कंपनियों से कहा गया है कि वे एक-दूसरे के वॉलेट से पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देने के लिए तकनीकी तौर पर बदलाव करें. (Photo : Getty Images)
RBI ने अपने सर्कुलर में कहा है कि कार्ड बेस्ड पीपीआई जैसे इट्ज कैश, सोडेक्सो कार्ड नेटवर्क इंटरऑपरेबिलिटी के माध्यम से इसे पूरा कर सकती है. वहीं ई-वॉलेट कंपनियां UPI के माध्यम से इंटऑपरेबिलिटी (एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर ट्रांसफर की सुविधा) की पेशकश कर सकती हैं. (Photo : Getty Images)
रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि इंटरऑपरेबिलिटी के नियम से मास ट्रांसिट सिस्टम में उपयोग होने वाले पीपीआई (PPI-MTS) को छूट रहेगी. PPI-MTS में बसों में इस्तेमाल होने वाले कार्ड, मेट्रो में इस्तेमाल होने वाले कार्ड इत्यादि आते हैं. हालांकि देश में कुछ PPI-MTS पहले से इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा देते हैं, जैसे दिल्ली मेट्रो का मेट्रो कार्ड गुरुग्राम की रैपिड मेट्रो में भी काम करता है.(File Photo : Aajtak)
देश में बहुत से ब्रांड गिफ्ट कार्ड जारी करते हैं. इस तरह के पीपीआई को Gift PPI कहा जाता है. रिजर्व बैंक ने Gift PPI जारी करने वालों के लिए इंटरऑपरेबिलिटी को वैकल्पिक रखा है. अब वह चाहें तो ग्राहकों को ये सुविधा दे सकते हैं या नहीं भी. (Representative Photo)
रिजर्व बैंक के नियमानुसार वॉलेट या किसी भी तरह के पीपीआई में इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा का लाभ केवल वही ग्राहक उठा सकेंगे जो सभी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों का पालन करते होंगे. ऐसे ही ग्राहक एक वॉलेट से अन्य वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करने के हकदार होंगे.(Photo : Getty Images)
सर्कुलर में साफ कहा गया है कि जो भी वॉलेट कंपनी इंटरऑपरेबिलिटी सुविधा देगी, उससे इससे जुड़ी शिकायतों के निवारण का पूरा तंत्र विकसित करना होगा. इंटरऑपरेबिलिटी को लेकर आने वाली शिकायतें संबंधित लोकपाल नियमों के दायरे में आएंगी. वहीं इस सुविधा के लिए ग्राहकों पर सीमित उत्तरदायित्व होगा. (Representative Photo)