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यूटिलिटी

'बरसो रे मेघा' गाने पर श्रेया घोषाल संग थिरकती दिखीं सुधा मूर्ति, इनके दिए 10000 रुपये से हुई थी Infosys की शुरुआत!

सुधा मूर्ति के पैसों से इंफोसिस हुई शुरू
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इंफोसिस (Infosys) आज देश के दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है. भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इसका कारोबार फैला हुआ है. इसकी शुरुआत का जिक्र होता है, तो इसे खड़ा करने वाले लोगों से पहले जो नाम आता है वो है सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) का...जी हां कंपनी के को-फाउंडर्स में से एक एन आर नारायणमूर्ति (N R Narayan Murthy) की पत्नी...जिनके 10,000 रुपये की बदौलत इंफोसिस शुरू हुई और आज 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कंपनी बन गई. आइए जानते हैं इनकी दिलचस्प कहानी...
 

श्रेया घोषाल के साथ थिरकीं सुधा मूर्ति
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श्रेया घोषाल के साथ थिरकीं सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) इन दिनों सोशल मीडिया (Social Media) पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराए हुए हैं..दरअसल वे एक वीडियो में बॉलीवुड गाने को गुनगुनाती और उस पर थिरकती नजर आ रही है, जो तेजी से वायरल (Viral) हो रहा है. उनके साथ मशहूर गायिका श्रेया घोषाल (Shreya Ghoshal) भी मौजूद हैं, जिनके गाने...'बरसो रे मेघा-मेघा...' गाने पर वे थिरक रही हैं. ये वीडियो क्लिक इंफोसिस की शुरुआत के 40 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान की है. 

इंफोसिस की शुरुआत में अहम रोल
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इंफोसिस की शुरुआत में अहम रोल
इंफोसिस के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति की शादी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) के साथ 10 फरवरी 1978 को बेंगलुरु में हुई थी. शादी के बाद से ही नारायण मूर्ति की जिंदगी में बड़ा बदलाव आना शुरू हो गया. उन्होंने अपनी कंपनी शुरू करने की जिद पकड़ ली. सबसे पहले उन्होंने सॉफ्टरोनिक्स (Softronix) नाम से वेंचर शुरू किया, लेकिन ये कुछ खास सफलता नहीं पा सका. लेकिन नारायण मूर्ति अपनी जिद पर अड़े रहे और उनके हौसले को उड़ान देने में पत्नी सुधा मूर्ति हर कदम उनके साथ रहीं. नारायण मूर्ति को साल 1981 में नई कंपनी शुरू करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ी तो सुधा मूर्ति ने अपनी बचत के पैसों में से 10,000 रुपये उन्हें दिए.  
 

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सेविंग्स को लेकर मां की सीख आई काम
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सेविंग्स को लेकर मां की सीख आई काम
एक इंटरव्यू के दौरान सुधा मूर्ति ने इस उधारी के बारे में जिक्र किया था..मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें उन्होंने कहा कि मैं हर महीने नारायण मूर्ति और अपनी सैलरी में से कुछ पैसे की बचत करती थी. उनकी इसी सेविंग्स के कारण उस समय उनके पास 10,250 रुपये इकठ्ठे हो गए थे. उन्होंने बताया था कि शादी के पहले मां की दी हुई इमरजेंसी में जरूरत के लिए बचत करने सीख वो हमेशा ध्यान में रखती थीं और जब नारायण मूर्ति को पैसों की बेहद जरूरत पड़ी तो ये सेविंग्स ही इमरजेंसी फंड के तौर पर उनके काम आई. हालांकि, मुधा मूर्ति ने 250 रुपये बचा लिए थे और 10 हजार ही उधार के तौर पर दिए थे. 
 

पत्नी के पैसों से पति के सपने पूरे
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पत्नी के पैसों से पति के सपने पूरे
Sudha Murthy के इन्हीं 10,000 रुपयों से एन आर नारायण मूर्ति के सपनों को उड़ान मिली और उन्होंने उनके छह साथियों के साथ मिलकर इंफोसिस की नींव डाली. इस कंपनी ने ऐसा कमाल किया कि आगे बढ़ती ही चली गई और कारोबार फैलता गया. साल 1999 में इंफोसिस US Stock Market नास्डैक (Nasdaq) में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई. अब कंपनी ने अपनी स्थापना के चार दशक पूरे कर लिए हैं और यह देश की दूसरे सबसे बड़ी आई सेवाएं देने वाली कंपनी बन चुकी है. 
 

टॉप-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल
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टॉप-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल
इन्फोसिस (Infosys) 6,40,617.19 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेश के साथ टाटा ग्रुप की टीसीएस के बाद दूसरी बड़ी आईटी कंपनी है. 31 मार्च, 2022 को इन्फोसिस का रेवेन्यू 16.3 अरब डॉलर था और इसमें 3,14,000 से अधिक कर्मचारी काम करते थे. इसके साथ ही इस मार्केट वैल्यू के साथ इंफोसिस बीएसई में लिस्टेड टॉप-10 मूल्यवान कंपनियों की लिस्ट में चौथी कंपनी के रूप में मौजूद है. इस कंपनी की स्थानपना और इसे शुरू करने वाले लोगों का संघर्ष आज के समय में अपना स्टार्टअप शुरू करने वाले लोगों के लिए एक मिसाल है. इसके साथ ही ये इस बाद का भी उदाहरण है कि एक पत्नी अपने पति के सपनों को पंख लगाने में कितना अहम रोल निभाती है, जैसा सुधा मूर्ति ने किया.  
 

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