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निर्मला बोलीं- देश को SBI जैसे 20 संस्थानों की जरूरत, ये 4 क्षेत्र विनिवेश से बाहर

बजट पर सीतारमण का बयान
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का कभी कोविड-19 टैक्स या सेस लगाने का विचार नहीं रहा है. उन्होंने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही. वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मीडिया में कोविड-19 टैक्स या अतिरिक्त सेस लगाने की चर्चा कैसे शुरू हुई? हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा.'
 

इकोनॉमी में तेज रिकवरी
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वित्त मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी से संघर्ष कर रही थीं, हमने इससे बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था. 

भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत
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वित्त मंत्री ने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का विचार आया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी.

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ये क्षेत्र विनिवेश से बाहर
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निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार की नई स्ट्रैटिजिक विनिवेश पॉलिसी से बड़े पोर्ट ट्रस्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI), नोटों और सिक्कों की छपाई-ढलाई में लगी कंपनियां जैसे चुनिंदा सरकारी उपक्रम रणनीतिक विनिवेश नीति के दायरे से बाहर रखे गए हैं. इस बजट में आत्मनिर्भर भारत के तहत नई सार्वजनिक उपक्रम विनिवेश नीति की घोषणा की. सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक उपक्रमों को रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है.
 

 चार रणनीतिक क्षेत्र विनिवेश से बाहर
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वित्त मंत्री ने कहा कि नीति के अनुसार, 'वैसे निकाय जो मुनाफा कमाने के लिए नहीं बनी कंपनियां हैं या संकटग्रस्त समूहों को समर्थन प्रदान करती हैं अथवा विकास या संवर्धन में भूमिका रखती हैं, उनके ऊपर यह नीति लागू नहीं होगी.' ऐसे चार रणनीतिक क्षेत्र हैं. इन चार क्षेत्रों में तीन क्षेत्र परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष व रक्षा; परिवहन व दूरसंचार और बिजली, पेट्रोलियम, कोयला व अन्य खनिज हैं.

विकास के लिए विनिवेश जरूरी
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वहीं गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवा जैसे सीपीएसई का निजीकरण किया जाएगा या इन्हें बंद करने पर विचार किया जाएगा. सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (GST) संग्रह बढ़ा है.

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