RBI tokenisation rules: अब आपको स्विगी, जोमैटो, ओला, ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे थर्ड पार्टी ऐप में अपनी क्रेडिट कार्ड डिटेल पहले से देने की जरूरत नहीं रह जाएगी. रिजर्व बैंक ने एक नया नियम बनाया है जिससे डिटेल देने की जगह सिर्फ एक टोकन सिस्टम से काम चल जाएगा. रिजर्व बैंक ने डिवाइस आधारित टोकनाइजेशन फ्रेमवर्क का विस्तार कार्ड ऑन फाइल टोकनाइजेशन (CoFT) सेवाओं के लिए भी कर दिया है. (फाइल फोटो: Getty Images)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डेटा स्टोरेज से जुड़े टोकनाइजेशन के नियम जारी किए हैं. यह नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होंगे. गौरतलब है कि अभी तक जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी ऐप, कैब सेवा देने वाली कंपनियों के ऐप, कई ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को पहले से अपने क्रेडिट कार्ड की डिटेल भरकर देना होता है. यूजर के कार्ड का डेटा इन वेबसाइट्स या ऐप पर सेव होता था जिसके चोरी होने का डर लगा रहता है. (फाइल फोटो)
लेकिन रिजर्व बैंक ने अब एक टोकन सर्विस की बात कही है, यानी इस तरह की डिटेल की जगह सिर्फ एक टोकन ग्राहकों को दिया जाएगा. यह सर्विस ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर करेगी. इसे लेने के लिए उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया जा सकेगा और न ही बैंक/कार्ड जारी करने वाली कंपनियों द्वारा अनिवार्य रूप से इसे लागू किया जाएगा. कार्ड जारी करने वाली संस्था को ही कार्ड टोकनाइजेशन सर्विस देनी होगी. पेमेंट करते समय पहचान के अतिरिक्त कारक के रूप में यह टोकन दिया जाएगा और इसके लिए ग्राहकी सहमति ली जाएगी. (फाइल फोटो: Getty Images)
आरबीआई (RBI) के नए नियमों के तहत 1 जनवरी, 2022 से कार्ड लेनदेन/पेमेंट में कार्ड जारीकर्ता बैंक या कार्ड नेटवर्क के अलावा कोई भी वास्तविक कार्ड डेटा स्टोरेज नहीं करेगा. इसमें पहले से स्टोर ऐसे किसी भी डेटा को फिल्टर किया जाएगा. हालांकि, ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग या सुलह मकसद के लिए, संस्थाएं सीमित डेटा स्टोर कर सकती हैं. वास्तविक कार्ड नंबर और कार्ड जारीकर्ता के नाम के आखिरी चार अंक तक के स्टोर की छूट होगी. (फाइल फोटो: Getty Images)
यूजर के कार्ड का डेटा इन वेबसाइट्स या ऐप पर सेव होता था जिसके चोरी होने का डर लगा रहता है. यानी अब ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर ज्यादा सुरक्षा हासिल हो सकेगी. उनके डेटा के चोरी करने की गुंजाइश नहीं रहेगी. इससे ग्राहकों के डेटा की सुरक्षा बढ़ेगी और सुविधा पहले जैसी ही रहेगी. यानी हर ट्रांजैक्शन पर कस्टमर को अपनी कार्ड डिटेल को भरने की जरूरत नहीं होगी. (फाइल फोटो: Getty Images)
CoFT नियम मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप स्मार्ट वॉच आदि के जरिए किए गए पेमेंट पर लागू होगा. टोकन सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से जारी किए गए कार्ड के लिए ही टोकनाइजेशन की सुविधा की पेशकश की जाएगी. कार्ड डेटा को टोकनाइज करने और डी-टोकनाइज करने की क्षमता एक ही टोकन सर्विस प्रोवाइडर के साथ होगी. (फाइल फोटो: Getty Images)