लोगों की Take Home Salary में बदलाव की खबरें बीते कई महीनों से चल रही हैं. इसकी वजह है संसद और राष्ट्रपति का श्रम कानूनों से जुड़ी 4 संहिताओं पर अपनी मुहर लगाना. इसमें एक संहिता लोगों सैलरी स्ट्रक्चर से भी जुड़ी है. अगली स्लाइड में जानें कौन-कौन सी संहिताएं (Code) पास की हैं संसद ने...
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सरकार ने देश में 29 श्रम कानूनों को समाहित करके 4 श्रम संहिताएं बनाई हैं. इसमें ‘कोड ऑन इंडस्ट्रियल रिलेशन्स’, ‘कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी’, ‘कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी’ और ‘कोड ऑन वेजेस’ शामिल हैं. ‘कोड ऑन वेजेस’ देश में नौकरी पेशा लोगों के सैलरी स्ट्रक्चर को स्पष्ट करता है. अगली स्लाइड में जानें कहां से आई Take Home Salary कम होने की बात...
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कोड ऑफ वेजेस के नए नियम के हिसाब से नौकरीपेशा लोगों के सैलरी स्ट्रक्चर में उनके कुल वेतन का 50% ही भत्तों या एलाउंसेस के रूप में दिया जा सकता है. इसी के आधार पर अनुमान लगाया गया कि लोगों की बेसिक सैलरी बढ़ेगी तो पीएफ में अंशदान भी बढ़ेगा और उनकी Take Home Salary कम होगी. अगली स्लाइड में जानें कि फिर क्यों नहीं बदल रहा Take Home Salary स्ट्रक्चर
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देश में कानून बनने की एक पूरी प्रक्रिया है. संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भी जब तक सरकार कानूनों को लेकर अधिसूचना जारी नहीं करती है तब तक कानून अमल में नहीं आता. इसलिए इन 4 संहिताओं को लागू तो 1 अप्रैल से होना था लेकिन सरकार की ओर से इसे लेकर अब तक अंतिम अधिसूचना जारी नहीं की गई है. अगली स्लाइड में जानें क्यों नहीं हुए नियम अधिसूचित
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डेलॉइट इंडिया में पार्टनर सुधाकर सेतुरमण का कहना है कि ये 4 संहिताएं कानून बन चुकी हैं. लेकिन इन्हें अब तक नोटिफाई नहीं किया गया है. वहीं राज्यों के श्रम कानूनों में भी इसके अनुरूप बदलाव होने हैं और अभी तक मात्र पांच से छह राज्यों ने ही ऐसा किया है. अगली स्लाइड में जाने अब कब बदल सकती है सैलरी
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