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यूटिलिटी

जॉब बदलते ही ना निकालें PF के पैसे, होता है बड़ा नुकसान

पीएफ के पैसे नहीं निकालें
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प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करियर में बेहतर ग्रोथ के लिए अक्सर जॉब बदलते रहते हैं. कई बार लोग नए संस्थान में ज्वाइन करने के बाद पुराने संस्थान में कटे एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) के पैसे को निकाल लेते हैं. 

जॉब बदलने पर पीएफ के पैसे नहीं निकालें
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सवाल यह है कि क्या नौकरी बदलने के बाद पुराने संस्थान से PF के पैसे निकाल लेना सही फैसला है? जानकारों की मानें तो नौकरी बदलने के बाद EPF निकाल लेना सही फैसला नहीं है. इसके कई नुकसान हैं, इसलिए कर्मचारी को जॉब बदलने के बाद PF की राशि निकालने के बारे में नहीं सोचना चाहिए.

हमेशा पैसा ट्रांसफर करवाएं
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अगर आप भी आंकलन करेंगे तो फिर आपको नुकसान का अनुमान हो जाएगा. इसलिए जॉब बदलने पर EPF का पैसा निकालने के बजाय अपना EPF और एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) का पैसा नए EPF अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेना चाहिए.

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क्या है नुकसान?
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क्या है नुकसान?
अगर आप 5 साल तक कॉन्ट्रिब्यूशन पूरा होने से पहले EPF का पूरा पैसा निकाल लेते हैं तो टैक्स बेनेफिट खत्म हो जाएगा. यानी EPF में कॉन्ट्रिब्यूशन पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत जो टैक्स छूट मिलता है, वह खत्म हो जाएगा. जबकि अगर आप पीएफ खाते में जमा राशि को एक PF अकाउंट से दूसरे PF अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं तो टैक्स छूट का फायदा मिलेगा. 
 

पीएफ के फायदे
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EPFO के नियम के मुताबिक अगर EPS सदस्य 10 साल का कॉन्ट्रिब्यूशन पूरा कर लेता है तो 58 साल की उम्र के बाद उसे पेंशन मिलती है. अगर कोई कर्मचारी 58 साल की उम्र से पहले ही रिटायर हो जाता है, और EPS में 10 साल का कॉन्ट्रिब्यूशन है तो उसे भी पेंशन मिलती है. 

कैसे कैलकुलेट करें EPFO पेंशन?
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कैसे कैलकुलेट करें EPFO पेंशन?
EPFO मेंबर के पेंशन का कैलकुलेशन ऐसे कर सकते हैं. 
मंथली पेंशन= (सैलरी में पेंशन का हिस्सा X नौकरी के साल)/70
जिन लोगों ने 16 नवंबर 1995 के बाद नौकरी ज्वाइन किया है, आपके लिए पेंशनेबल सैलरी EPS कॉन्ट्रिब्यूशन बंद करने से पहले के 60 महीनों का औसत होगा. फिलहाल मैक्सिमम पेंशनेबल सैलरी 15,000 रुपये महीना है.

पेंशन के लिए ये हैं शर्तें
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पेंशन के लिए ये हैं शर्तें
पेंशन उन्हीं लोगों को मिल सकती है, जो ईपीएस (EPS) यानी एंप्लॉई पेंशन स्कीम (Employees Pension Scheme) 1995 में 16 नवंबर 1995 को या उससे पहले शामिल हुए हों. इसके अलावा कर्मचारी को EPS अकाउंट में कम से कम 10 साल तक अंशदान करना जरूरी है. कर्मचारी की तरफ से ये अंशदान एक नियोक्ता या एक से अधिक नियोक्ताओं के तहत किया जा सकता है.
 

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