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यूटिलिटी

कभी नहीं निकलता IPO, आपकी भी है शिकायत? जानें अलॉटमेंट प्रक्रिया

IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया
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अक्सर लोगों की शिकायत होती है कि आईपीओ में अप्लाई तो करते हैं, लेकिन कभी निकला नहीं है. लोगों के मन में सवाल होता है कि आखिरी उन्हें आईपीओ का अलॉटमेंट क्यों नहीं मिलता है. वो जानना चाहते हैं कि किस प्रक्रिया के तहत आईपीओ का अलॉटमेंट होता है, ताकि पता चले कि उन्हें अगर नहीं मिला, तो क्यों नहीं मिला? और जिसे मिला तो उसे किस नियम के तहत मिला. 

ओवरसब्सक्राइब पर कैसे आवंटन
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दरअसल, निवेशक आईपीओ अलॉटमेंट के नियम को बारीकी से समझना चाहते हैं. क्योंकि अच्छी कंपनी के आईपीओ हमेशा ओवरसब्सक्राइब होता है, यानी आईपीओ में मौजूद शेयर से कई गुने ज्यादा निवेशकों के आवेदन मिल जाते हैं. 

सेबी के नियम
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सेबी के नियम के मुताबिक एक आईपीओ में एक रिटेल निवेशक अधिकतर 2 लाख रुपये तक की बोली लगा सकता है. हालांकि, इसके लिए न्यूनतम बोली होना जरूरी है. इसका अर्थ है कि अगर किसी आईपीओ में एक लॉट 15 शेयरों की है, तो आपको कम से कम 15 शेयरों के लिए बोली लगानी ही होगी.

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ओवरसब्सक्राइब होने पर आवंटन प्रक्रिया
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अगर जितने आईपीओ हैं और उतने ही आवेदन मिले हैं, या फिर उससे कम आवेदन मिले हैं तो ऐसी स्थिति में हर निवेशक को आईपीओ में एक लॉट शेयर का अलॉटमेंट जरूर मिल जाता है. लेकिन आईपीओ ओवरसब्सक्राइब होने पर स्थिति कुछ जटिल हो जाती है. 

ओवरसब्सक्राइब में अलॉटमेंट का नियम
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क्योंकि ओवरसब्सक्राइब में अलॉटमेंट के लिए उपलब्ध शेयर्स से अधिक संख्या में निवेशक के आवेदन होते हैं. जिन रिटेल निवेशक को शेयर्स अलॉट किए जा सकते हैं. उनकी संख्या, अलॉटमेंट के लिए उपलब्ध इक्विटी शेयर्स की संख्या से विभाजित कर निकाली जाती है. यानी निवेशकों को अनुपातिक आधार पर ही शेयरों का आवंटन किया जाता है. 

अधिक से अधिक लॉट में अप्लाई करने पर चांस ज्यादा
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जिन रिटेल निवेशक को आईपीओ में अलॉटमेंट मिलता है, उसे कम से कम एक लॉट जरूर मिलता है. यानी कम लॉट की बोली लगाना, अधिक सब्सक्रिप्शन की स्थिति में निवेशक के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. यानी आईपीओ अलॉटमेंट होने की कम उम्मीद होती है. इसलिए अच्छी कंपनियों के आईपीओ में अधिक से अधिक लॉट में अप्लाई करने से शेयर अलॉट होने की उम्मीद बढ़ जाती है. 

लकी ड्रॉ के जरिये भी आवंटन
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इसके अलावा शेयर आवंटन के लिए लकी ड्रॉ का इस्तेमाल भी किया जाता है. इसलिए कई निवेशकों अपने परिजनों के नाम से भी बोली लगाते हैं, ताकि किसी के नाम से निकल जाए. इस वजह से उस परिवार को एक व्यक्ति की तुलना में शेयर आवंटन की संभवानाएं बढ़ जाती है.

कम्प्यूटरीकृत ड्रा
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ओवरस्क्रिप्शन की स्थिति में कुछ इस प्रकार के शेयर का अलॉटमेंट होता है. उदाहरण के लिए अगर M कंपनी का आईपीओ तीन गुना ओवरसब्सक्राइब हो गया. यानी कंपनी के स्टॉक्स के लिए नियोजित मुद्दे के रूप में तीन गुना मांग थी. ऐसे मामलों में आईपीओ आवंटन के लिए कम्प्यूटरीकृत ड्रा के माध्यम से आवंटन किया जाता है.

क्या होता है आईपीओ?
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क्या होता है आईपीओ?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो उसे आईपीओ कहते हैं. आईपीओ के जरिए कंपनी फंड इकट्ठा करती है और उस फंड को कंपनी की तरक्की में खर्च करती है. बदले में आईपीओ खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है. 

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