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यूटिलिटी

इन तीन बातों का रखें ख्याल, जो भी कमाई है उसी में कर पाएंगे बचत

बचत का फंडा
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कोरोना संकट के बीच अगर आप सेविंग करना चाहते हैं तो फिर बचत, खर्च और निवेश के बीच तालमेल बिठाना होगा. अगर आपने इन तीनों का सही से तालमेल बिठा लिया तो फिर आप आर्थिक मोर्चे पर सफल माने जाएंगे. अक्सर लोग कहते हैं कि वो कमाते तो बहुत हैं पर बचा नहीं पाते. लेकिन उनके पास खर्चे की भी कोई लिस्ट नहीं है. 

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हम आपको बताते हैं कि बचत, खर्च और निवेश के बीच तालमेल कैसे बिठाएं. इन तीनों का सीधा संबंध आपके बैंक खाते से है. अगर आप नौकरीपेशा हैं या फिर अपना रोजगार है तो आपके पास कम से कम तीन बैंक खाते होने चाहिए.

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पहला अकाउंट: 
अगर आप नौकरी में हैं तो वेतन हर महीने सैलरी अकाउंट में आता होगा. अगर बिजनेस है तो फिर करेंट अकाउंट जरूर होगा. सैलरी अकाउंट को इनकम अकाउंट भी नाम दे सकते हैं. सैलरी के अलावा आपकी जो भी इनकम है, उसे भी हर महीने इसी खाते में डालें. जिससे ये पता चल जाएगा कि महीनेभर में आपकी आमदनी क्या है?  (Photo: getty)

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दूसरा अकाउंट: 
पहले बैंक खाते से जब आपको पता चल जाएगा कि आदमनी कितनी है तो फिर उसमें महीनेभर का खर्च दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दें. यानी दूसरे खाते की पहचान खर्च के रूप में होगी. इसे spend account नाम दे सकते हैं. इस अकाउंट में महीनेभर के खर्च की राशि होगी. जिसमें से आप जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकेंगे. (Photo: getty)

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तीसरा अकाउंट:

जब बचत और खर्च के बीच आप संतुलन बैठा लेंगे तो फिर आपका अगला कदम निवेश होगा. यानी खर्च के बाद पहले अकाउंट (सेविंग) में जो रकम बचेगी, उसे आप कहीं भी निवेश कर सकते हैं. लेकिन उसे निवेश करने के लिए आपको अलग से बैंक खाते की जरूरत होगी. क्योंकि आपको तय करना है कि कितना रुपया हर महीने निवेश करना है, और उसे पहले बैंक खाते से सीधे तीसरे बैंक खाते में यानी निवेश खाते में ट्रांसफर कर दें. जिसके बाद इस खाते से हर महीने निवेश करें.

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कुल मिलाकर आपके पास तीन बैंक खाते होने चाहिए. पहले में आमदनी का ब्योरा हो, दूसरे में महीनेभर के खर्च की रकम और फिर तीसरे में निवेश के लिए बची हुई राशि. जब आप लगातार 6 महीने तक इसे अपनी हैबिट बना लेंगे तो फिर आपकी ये शिकायत दूर हो जाएगी कि आमदनी तो काफी है लेकिन पैसे कहां खर्च हो जाते हैं ये पता नहीं चलता है.

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