अंग्रेजों के जमाने से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है. आजादी के बाद भी भारत सरकार ने इसे बनाए रखा. लगभग 150 साल से भारत इसी वित्त वर्ष का पालन कर रहा है. (फाइल फोटो)
लगभग 82% हिंदू आबादी वाला देश नेपाल अपने वित्त वर्ष की शुरुआत हिंदू कैलेंडर यानी विक्रम संवत के हिसाब से करता है. देश का वित्त वर्ष श्रावण मास की प्रथमा से शुरू होकर आषाढ़ मास के आखिरी दिन तक होता है. इस तरह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से उसका वित्त वर्ष जुलाई के मध्य में शुरू होता है. (फोटो: नेपाल टूरिज्म बोर्ड)
पाकिस्तान का वित्त वर्ष 1 जुलाई से शुरू होकर 30 जून तक होता है. पाकिस्तान से 1971 में अलग होकर बना बांग्लादेश भी इसी समय को अपना वित्त वर्ष मानता है. हालांकि रोचक बात ये है कि भारत में भारतीय रिजर्व बैंक भी जुलाई-जून की अवधि का वित्त वर्ष मानता है. (फाइल फोटो)
भारत के पड़ोसी देश चीन में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग वित्त वर्ष को फॉलो किया जाता है. जैसे मुख्य चीन में ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से 1 जनवरी से 31 दिसंबर को वित्त वर्ष माना जाता है. यही वित्त वर्ष ताइवान और मकाऊ का भी है. लेकिन ब्रिटिश उपनिवेश रहे हांगकांग का वित्त वर्ष राष्ट्रमंडल देशों के हिसाब से 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है. (फाइल फोटो)
नेपाल की तरह अफ़गानिस्तान का वित्त वर्ष भी ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित नहीं है. बल्कि ये सूर्य के आधार पर गणना किए जाने वाले हिजरी कैलेंडर पर आधारित है, जिसे आम तौर पर ईरानी हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है. इसलिए अफगानिस्तान का वित्त वर्ष भी सोलर हिजरी कैलेंडर के हिसाब से तय होता है. यह आम तौर पर 20-21 मार्च को शुरू होता है. (फाइल फोटो)
मनोरम दृश्यों से भरपूर भारत के दो छोटे पड़ोसी मुल्क मालदीव और भूटान की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी नहीं है. दोनों ही देश मुख्यत: पर्यटन से अपनी आय करते हैं. लेकिन एक और समानता इन दोनों देशों के वित्त वर्ष में है. दोनों देशों का वित्त वर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से तय होता है, यानी इसकी शुरुआत 1 जनवरी से हाे होती है. (फाइल फोटो)