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यूटिलिटी

सरकार को मोटी कमाई करके दे रही BPCL, फिर बेचने के पीछे क्या है असली वजह?

सरकार को तगड़ा मुनाफा कमाकर दे रही है BPCL
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केंद्र सरकार तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है. कोरोना संकट की वजह से सरकार को इसकी बोली लगाने की तारीख चार बार बढ़ानी पड़ी है. चौथी बार में सरकार को इस कंपनी की तीन बोलियां मिली हैं. इस कंपनी में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है. 

देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है BPCL
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दरअसल, BPCL देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है, इसे खरीदने की दौड़ में सबसे आगे वेदांता कंपनी दिख रही थी. वेदांता माइनिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी है. लेकिन अब अमेरिका की दो प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर्स फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और आई स्कावयर्ड कैपिटल की इकाई थिंक गैस ने शुरुआती बोलियां भी सौंपी हैं. 

सरकार को सही कीमत मिलने की उम्मीद
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BPCL को खरीदने के लिए वेदांता के अलावा दो और कंपनियां के मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है. सरकार को अब BPCL का वैल्यूएशन ऊंची कीमत पर होने की उम्मीद भी बढ़ गई है. वेदांता ने 59 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई है. 
 

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विनिवेश के लक्ष्य से काफी दूर सरकार
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दरअसल, BPCL में हिस्सेदारी बेचने से सरकार को 45 हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं. सरकार अपनी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है. केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान अलग-अलग कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बड़ा लक्ष्य रखा है. 
 

BPCL की बैलेंस शीट बेहद मजबूत
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हिस्सेदारी बिक्री कंपनियों की लिस्ट में एअर इंडिया और एलआईसी भी शामिल है. लेकिन सरकार को उम्मीद है कि सबसे पहले उसे BPCL में अपनी हिस्सेदारी बेचने की सफलता मिल सकती है. क्योंकि BPCL देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी है और इसकी बैलेंस शीट बेहद मजबूत है. कंपनी हमेशा मुनाफा कमाकर सरकार को देती रही है. 
 

चार बार बोली की तारीख बढ़ाई गई
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दरअसल, सरकार की कोशिश है कि मार्च-2021 तक विनिवेश के लिए तय किए गए लक्ष्य के करीब तक पहुंचा जाए. क्योंकि 2.10 लाख करोड़ रुपये का बड़ा लक्ष्य अब पाना संभव नहीं है. वहीं घाटे में चल रही एअर इंडिया से सरकार को ज्यादा उम्मीदें नहीं है. इसलिए कोरोना संकट के दौरान BPCL की बोली लगाने की तारीख चार बार बढ़ाई गई. पहले इसकी तारीख 2 मई तय की गई थी, जिसे पहली बार बढ़ाकर 13 जून किया गया, उसके बाद फिर 31 जुलाई अंतिम तारीख तय हुई. तीसरी बार में तारीख 30 सितंबर तय की गई और फिर चौथी बार समय सीमा को 16 नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ाया गया.
 

कंपनी जबर्दस्त मुनाफे में
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भले ही, 4 बार तारीख बढ़ाने के बाद सरकार को BPCL के लिए तीन बोलियां मिली हैं, लेकिन BPCL की बैलेंस शीट से निवेशकों को शिकायत नहीं होगी. कोरोना संकट में भी कंपनी ने जबर्दस्त मुनाफा कमाया है. चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में बीपीसीएल का मुनाफा लगभग दोगुना होकर 2,076 करोड़ रुपये हो गया. जबकि दूसरी तिमाही में मुनाफा बढ़कर 2,247 करोड़ रुपये हो गया. 
 

लगातार मुनाफे में रही है कंपनी
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इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 में बीपीसीएल को 7,132 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. एक अनुमान के मुताबिक BPCL सालाना लगभग 8,000 करोड़ रुपये का लाभ कमाती है. BPCL के खरीदार को 64 हजार 200 करोड़ रुपये से लेकर 97 हजार 600 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी.

BPCL के देशभर में करीब 17,138 पेट्रोल पंप
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BPCL के देशभर में करीब 17,138 पेट्रोल पंप हैं. बीपीसीएल में सरकार की कुल 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सरकार के पास कंपनी के 114.91 करोड़ शेयर हैं. सरकार का ऐलान कर दिया है कि BPCL के रणनीतिक खरीदार को कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण भी ट्रांसफर किया जाएगा, यानी मालिकाना हक भी खरीदार के पास चला जाएगा. 

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