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यूटिलिटी

हर घर के लिए काम की बात, सोने की ज्वेलरी में हॉलमार्क क्यों जरूरी?

15 जून से हॉलमार्किंग गोल्ड ज्वैलरी अनिवार्य
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भारत में बड़े पैमाने पर लोग निवेश के नजरिये से सोना खरीदते हैं. खासकर देश में ज्वेलरी खरीदने की पुरानी परंपरा है. लोग पाई-पाई जोड़कर सोने की ज्वेलरी खरीदते हैं. लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि मुसीबत के लिए उन्होंने जो सोना खरीद रखा है, वो प्योर नहीं है, उसमें मिलावट है. इस तरह के धोखे से लोग असहाय महसूस करते हैं. 
 

लोग खरीद पाएंगे प्योर ज्वैलरी
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इस तरह के बहुत मामले सामने आते रहते हैं कि ज्वेलर ने उनके साथ धोखा किया है. ऐसे मामलों पर ही लगाम लगाने के लिए सरकार ने सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का फैसला लिया है. सरकार के इस कदम से सबसे ज्यादा फायदा आम जनता को होगा, क्योंकि उन्हें अब ज्वेलर गुमराह नहीं कर पाएगा. आप जो भी ज्वेलरी खरीदेंगे वह BSI से प्रमाणित होगी. 

ठगी के शिकार होने से बचेंगे लोग
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साफ शब्दों में कहें तो हॉलमार्किंग लागू होने के बाद आम जनता प्योर सोने की ज्वेलरी खरीद पाएंगे, और ठगी के शिकार होने से बच जाएंगे. यही नहीं, हॉलमार्किंग शुद्धता का ऐसा पैमाना है, जिसे आप खुद चेक कर पाएंगे. अब फ्यूचर में ज्वेलरी खरीदने से पहले अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो प्योर गोल्ड खरीद पाएंगे. 

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कोरोना संकट की वजह से मोहलत: 
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कोरोना संकट की वजह से मोहलत: 
दरअसल, केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग के नियमों को 15 जून 2021 से अनिवार्य कर दिया है. इससे पहले देशभर में 1 जून 2021 से गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का फैसला लिया गया था. लेकिन अब 15 दिन की राहत दे दी गई है. यह नियम लागू होते ही देश में सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी ही बिकेगी. 

क्या होती है हॉलमार्किंग
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क्या होती है हॉलमार्किंग: हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है. इसके तहत हर गोल्ड ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अपने मार्क के द्वारा शुद्धता की गारंटी देता है. केंद्र ने साफ कर दिया है कि हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद देश में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट सोने की ज्‍वेलरी ही बिकेगी. 

हॉलमार्किंग सरकार द्वारा दी गई सोने की शुद्धता की गारंटी
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इसके द्वारा इसका स​ही आंकड़ा मिल जाता है कि किसी ज्वेलरी में कीमती धातु (जैसे सोने) का कितना हिस्सा है और इसकी आधिकारिक मुहर होती है. एक तरह से यह कहा जा सकता है कि यह हॉलमार्किंग सरकार द्वारा दी गई सोने की शुद्धता की गारंटी होती है. (फाइल फोटो)

शुद्धता का भरोसा
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शुद्धता का भरोसा: BIS से सर्टिफाइड ज्वैलर अपने ज्वेलरी पर किसी भी निर्धारित हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क हासिल कर सकते हैं. इसका आम उपभोक्ताओं को सबसे बड़ा फायदा कि है कि वे जो गोल्ड ज्वेलरी खरीदेंगे, उस पर यह भरोसा होगा कि जितने कैरेट की शुद्धता का सोना बताया जा रहा है, उतने ही शुद्धता का वाकई मिल रहा है. (फाइल फोटो: PTI)

खुद कर पाएंगे पहचान
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खुद कर पाएंगे पहचान: आप हॉलमार्क ज्वेलरी की चार तरह से पहचान कर पाएंगे. 
पहला (बीआईएस मार्क)- हर ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का ट्रेडमार्क यानी BSI का लोगो होगा. 
दूसरा (कैरेट में प्योरिटी)- हर ज्वेलरी की कैरेट या फाइनेंस में प्योरिटी होगी. 916 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वेलरी 22 कैरेट के गोल्ड (91.6 फीसदी शुद्धता) की है. 750 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वेलरी 18 कैरेट (75 फीसदी शुद्ध) गोल्ड की है. इसी तरह 585 लिखा है तो इसका मतलब कि ज्वेलरी 14 कैरेट गोल्ड (58.5 फीसदी शुद्धता) की है. 
तीसरा- हर ज्वेलरी पर एक विजिबल आइडेंफिकेशन मार्क होगा जो हालमार्क सेंटर का नंबर होगा.
चौथा- हर ज्वेलरी पर एक विजिबल आइडेंटिफिकेशन मार्क होगा ज्वेलर कोड के रूप में, यानी यह किस ज्वेलर के यहां बना है, उसकी पहचान होगी. 

ऐसे चेक करें हॉलमार्क
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असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. जो सोने की कैरेट की शुद्धता के निशान के बगल में होता है. ज्वेलरी पर निर्माण का वर्ष और और उत्पादक का लोगो भी होता है. 
 

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