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हिंडनबर्ग भी नहीं हिला पाया, गौतम अडानी के लिए हीरा है Adani Ports, ऐसे होती है ताबड़तोड़ कमाई!

गुजरात की चिमनभाई पटेल सरकार ने 90 के दशक में निजी कंपनियों को बंदरगाह आवंटित करने की शुरुआत की थी. सरकार ने 10 बंदरगाहों की लिस्ट बनाई थी, जिनमें एक मुंद्रा पोर्ट भी था. 1995 में गौतम अडानी की कंपनी अडानी पोर्ट्स को 8000 हेक्टेयर में फैले इसी Mundra Port के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ था.

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अडानी पोर्ट्स ने किया गौतम अडानी की किस्मत चमकाने का काम
अडानी पोर्ट्स ने किया गौतम अडानी की किस्मत चमकाने का काम

गौतम अडानी (Gautam Adani) का नाम इस समय सबसे चर्चा में है. बीते साल की तरह सबसे ज्यादा कमाई के मामले में नहीं, बल्कि एक महीने में ही सबसे ज्यादा दौलत गवांने के मामले में. अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) बीते 24 जनवरी 2023 को पब्लिश हुई थी और इसके अगले दिन से ही अडानी की कंपनियों के शेयरों में ऐसी सुनामी आई कि Adani Group मार्केट कैप 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा घटकर 100 अरब डॉलर के नीचे आ गया. इस बीच ग्रुप की हर कंपनी के शेयर बुरी तरह टूटे, लेकिन सबसे कम असर Adani Ports के शेयरों पर पड़ा. 

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प्लास्टिक बिजनेस ने चमकाई किस्मत 
Adani Ports अडानी ग्रुप की तमाम कंपनियों में कमाई कराने के मामले में सबसे आगे रही है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 90 के दशक में अडानी साम्राज्य को विस्तार देने का श्रेय भी अडानी पोर्ट्स को ही जाता है. अभी बुरे दौर से गुजर रहे 60 वर्षीय उद्योगपति Gautam Adani अपने परिवार की पहली पीढ़ी के कारोबारी हैं. पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्होंने परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए कारोबारी दुनिया में कदम रख दिया था. सबसे पहले उन्होंने 1978 में हीरा कारोबार में हाथ आजमाया था, लेकिन उनकी किस्मत चमकी साल 1981 से, जब उन्होंने बड़े भाई के प्लास्टिक कारोबार में एंट्री मारी. इसके बाद 1988 में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Adani Enterprises Ltd) अस्तित्व में आई. 

ऐसे शुरू हुआ पोर्ट का बादशाह बनने का सफर
इसके बाद साल 1991 में प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में जब फाइनेंस मिनिस्टर मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए. उदारीकरण की शुरुआत हो चुकी थी और कारोबार को आसान बनाने के लिए गुजरात की चिमनभाई पटेल सरकार ने निजी कंपनियों को बंदरगाह आवंटित करने की शुरुआत कर दी थी. उस समय सरकार ने निजी हाथों में देने के लिए 10 बंदरगाहों की लिस्ट तैयार की थी, जिनमें से एक मुंद्रा पोर्ट भी था. 1995 में गौतम अडानी की कंपनी अडानी पोर्ट्स को 8000 हेक्टेयर में फैले इसी मुंद्रा पोर्ट (Mundra Port) के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ था.

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हाई टाइड में डूब जाती थी मुंद्रा की जमीन
मुंद्रा पोर्ट की जमीन को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरता रहा है. ऐसा कहा जाता है कि इस जमीन को एक रुपये प्रति स्क्वायर फीट के दाम में अडानी पोर्ट्स को मिली थी. गौतम अडानी ने खुद बीते साल 2022 में दिए एक इंटरव्यू में इस बारे में बताते हुए कहा था कि उन्हें वेस्टलैंड की जमीन मिली थी, जिसकी कीमत उस समय काफी कम थी. अडानी के मुताबिक, असल में वो जमीन, जमीन हीं थी, हाई टाइड के समय वह पानी में चली जाती थी. उन्होंने कहा था कि इस जमीन को ठीक करने में हमने उस पर 3-4 फीट रिक्लेमेशन किया और इस पर आने वाली लागत उसकी ओरिजनल कॉस्ट से भी कहीं ज्यादा थी. 

देश का सबसे बड़ा बंदरगाह मुंद्रा पोर्ट
जमीन को ठीक करके मुंद्रा को फायदे का सौदा बनाने में अडानी पोर्ट्स को लगभग 10 साल का समय लगा. इस वक्त अडानी ग्रुप का मुंद्रा पोर्ट आज भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है. गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे सात समुद्री राज्यों में 13 घरेलू बंदरगाहों में अडानी पोर्ट्स की मौजूदगी है. मुंद्रा पोर्ट पर सालाना करीब 10 करोड़ टन माल उतरता है. यहां की एडवांस्ड और सिस्टामैटिक तकनीक इसे दूसरे बंदरगाहों से अलग है. यह देश का व्‍यस्‍ततम बंदरगाह है और इससे पूरे भारत के लगभग एक-चौथाई माल की आवाजाही होती है. 

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कैसे होती है मुंद्रा पोर्ट से कमाई?
मुंद्रा पोर्ट्स देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है और ये स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) के तहत बना है, जिसका मतलब होता है कि उसकी प्रमोटर कंपनी को कोई टैक्स नहीं देना होता है. गौतम अडानी के बेटे करण अडानी Adani Ports & SEZ Ltd के CEO हैं. इसमें बिजली प्लांट, निजी रेलवे लाइन और एक प्राइवेट हवाई अड्डा भी है. मुंद्रा पोर्ट दुनिया में कोयले की सबसे बड़ी माल उतराई की क्षमता के लिए भी जाना जाता है. शुरुआती समय में मुंद्रा पोर्ट पर लोडिंग-अनलोडिंग में लगने वाले समय के चलते गौतम अडानी को हर साल 10 से 12 करोड़ रुपये का घाटा होता था. इस समय को कम करने के लिए उन्होंने तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया और आज AI समेत कई एडवांस्ड टैक्निक की दम पर मिडिल ईस्ट एशिया, वेस्टर्न एशिया और अफ्रीका से होने वाला 70 फीसदी ट्रेड इसी पोर्ट से ऑपरेट होता है. 

किसी भी बंदरगाह की तरह मुंद्रा पोर्ट्स की कमाई भी कार्गो से आने वाले सामानों, क्रूड, केमिकल समेत अन्य की लोडिंग-अनलोडिंग, स्टोर और डिलीवरी के जरिए ही होती है. मुंद्रा पोर्ट पर 24 से ज्यादा वेयरहाउस हैं और क्रूड-केमिकल स्टोर करने के लिए 97 से ज्यादा टैंक्स और पाइपलाइन भी मौजूद हैं, जो लेटेस्ट तकनीकों से लैस है और सेफ्टी के लिहाज से अन्य पोर्ट्स में सबसे बेहतर हैं. कार्गो सर्विस की हर स्टेज पर एक फिक्स्ड फीस चार्ज करता है जिससे इसे मोटी कमाई होती है. 

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समुद्र के रास्ते दुनिया के कोने-कोने से बड़े-बड़े कार्गेो शिप मुंद्रा पोर्ट पर पहुंचते हैं. पोर्ट पर स्टोर्ड कार्गो को ले जाने के लिए मुंद्रा पोर्ट में मल्टी ट्रांसपोर्ट्स सिस्टम डेवलप किया गया है और अडानी पोर्ट्स क्लाइंट को फास्टेस्ट डिलीवरी की गारंटी देती है. यहां से देश के किसी भी कोने में सामान पहुंचाया जा सकता है. मुंद्रा पोर्ट प्राइमरी इनकम सोर्स कार्गो हैंडलिंग ही होती है. एक उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर आप ऑनलाइन कंपनियों से सामान ऑर्डर करते हैं, तो वो आपके घर तक पहुंचाने के लिए डिलीवरी चार्ज लेती हैं. ऐसे ही तमाम बड़ा कंपनियां सीधे माल की डिलीवरी और स्टोर के लिए बंदरगाहों से जुड़ी होती है. जो लोडिंग-अनलोडिंग, स्टोर और डिलीवरी सेवाएं देने के लिए एक्सपोर्ट-इंपोर्ट ड्यूटी के साथ दूसरे सब-चार्जेज वसूलते हैं. इसी तरह मुंद्रा पोर्ट भी कमाता है. 

बुरे दौर में भी रेवेन्यू 18% बढ़ा
देश की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (APSEZ) का मुनाफा मौजूदा वित्‍त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 1315 करोड़ रुपये रहा था, जो बीते साल की समान अवधि की तुलना में 13 फीसदी कम है. एक साल पहले दिसंबर तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 1567 करोड़ रुपये रहा था. इस तिमाही में कंपनी का रेवेन्‍यू सालाना आधार पर 18 फीसदी बढ़ा. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी पोर्ट्स के शेयर भी बुरी तरह टूटे, लेकिन इसमें गिरावट की दर अन्य कंपनियों के स्टॉक्स से कम रही. कुल मिलाकर शेयर 30 फीसदी फिसला और अब लगातार इसमें बढ़त देखने को मिल रही है. 

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अडानी पोर्ट पर हिंडनबर्ग का सबसे कम असर 
अडानी पोर्ट की ताजा चाल पर नजर दौड़ाएं तो हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश होने के पहले 24 जनवरी को इस शेयर का भाव 761.20 रुपये था और 25 जनवरी 2023 के बाद इसने 462.45 रुपये का निचला स्तर छुआ था. 2 फरवरी को ये शेयर इस लो-लेवल पर पहुंचा था. लगातार महीने भर इसमें भी गिरावट जारी रही, लेकिन अडानी के दूसरे शेयरों की तुलना में ये कम थी. अन्य शेयरों की बात करें तो अडानी ग्रीन तो 85 फीसदी के आस-पास तक टूट गया था. अडानी पोर्ट्स का मार्केट कैप 149157.59 करोड़ रुपये है.

 

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