सुबह उठते ही हम अपने स्मार्टफोन (Smartphone) में इंस्टॉल कुछ ऐप पर अपनी उंगलियां फिराते हैं और अगले कुछ ही मिनटों में दूध दरवाजे पर होता है. डिजिटल होती दुनिया ने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है. सुई से लेकर कार तक हम ऑनलाइन खरीद ले रहे हैं. इंटरनेट ने तमाम सर्विस को रफ्तार दी है और इसके साथ ही बढ़ी हैं साइबर क्राइम (Cyber Crime) की घटनाएं. इंटरनेट और फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को साइबर अपराधी मौके की तरह देख रहे हैं. वे लोगों को तरह-तरह के लुभावने ऑफर में फंसाकर उनसे लाखों रुपये लूट रहे हैं. इस तरह की घटनाओं के लिए भारत के नक्शे में शामिल जामताड़ा (Jamtara) के हिस्से खूब बदनामी आई है. लेकिन साइबर धोखाधड़ी अब पूरे देश की एक बड़ी समस्या बन चुका है.
साइबर अपराधी ज्यादातर कम पढ़े-लिखे लोगों को अपना निशाना बनाते हैं. हालांकि, कई पढ़े-लिखे और फेमस लोग भी साइबर फ्रॉड का शिकार बन चुके हैं. इसलिए देश के तमाम बैंक और सुरक्षा एजेंसियां लोगों को हर वक्त सतर्क करती रहती हैं. इसके लिए वो गाइडलाइंस भी जारी करती हैं.
दरअसल, पिछले दिनों देश में बडे़ पैमाने में डेबिट कार्ड यानी ATM कार्ड से जुड़े ठगी को अंजाम दिया गया है. अक्सर लोगों को फोन किया जाता है, आपके इस बैंक का ATM बंद हो जाएगा, लोग ये सुनते ही घबरा जाते हैं. फिर फोन पर कहा जाता है कि अगर ATM चालू रखना चाहते हैं हम जैसे कहते हैं कीजिए.. बसी इसी जाल में फंसकर लोग अपनी गाढ़ी कमाई गवां देते हैं.
कस्टमर केयर के नंबर को लेकर सावधान
डिजिटल के इस दौर में हम बैंकिंग समस्या लेकर कोई प्रोडक्ट से जुड़ी समस्या तक के लिए कस्टमर केयर को कॉल लगाते हैं. कई बार लोग हड़बड़ी में कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर सर्च कर कॉल लगा देते हैं. वो इस बात की जांच नहीं करते कि उन्होंने नंबर संबंधित कंपनी की वेबसाइट से ली है या नहीं.
साइबर अपराधी इसी तरह की गलती की ताक में रहते हैं. अगर आपने आधिकारिक वेबसाइट की जगह कहीं और से नंबर लेकर कॉल लगाया है, तो हो सकता है कि आप धोखाधड़ी का शिकार बन जाएं. इसलिए हमेशा कस्टमर केयर का नंबर संबंधित कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से ही लें.
इस नंबर पर दर्ज करा सकते हैं शिकायत
बैंक आपके डेबिट या क्रेडिट की पिन की जानकारी और सीवीवी की मांग कभी नहीं करता है. इस तरह की बातें हमने कई बार बैंक के कस्टमर केयर को कॉल मिलाते वक्त सुनी हैं. लेकिन फिर भी कई बार साइबर अपराधी इस तरह का जाल बुनते हैं कि लोग उनके झांसे में आ ही जाते हैं. अगर कोई भी व्यक्ति ऑनलाइ वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार होता है, तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करे अपनी शिकायत दर्ज करवाए.
पेमेंट ऐप से जुड़ी ये गलती ना करें
डिजिटल के इस दौर में अधिकतर लोगों के स्मार्टफोन में फोनपे, गूगल पे और पेटीएम जैसे पेमेंट ऐप मौजूद होते हैं. इनमें मनी रिक्वेस्ट की सुविधा उपलब्ध होती है. मतलब आपको कोई भी पेमेंट रिक्वेस्ट भेज सकता है और बस कुछ क्लिक में आपके खाते से पैसे की अवैध तरह से निकासी हो जाएगी. इसलिए अपनी यूपीआई आईडी किसी से भी शेयर करने से बचें.
ये टिप्स अपनाएं
सभी पेमेंट ऐप पर नोटिफिकेशन की सुविधा उपलब्ध है, उसे हमेशा ऑन रखें. जब भी कोई अवैध तरीके से आपके पेमेंट ऐप को लॉगिन करने की कोशिश करेगा, तो आपके पास नोटिफिकेशन आ जाएगा. इस तरह से आप उसे डिनाई कर सकते हैं. कई बार आपके टेक्स्ट मैसेज बॉक्स में जॉब के ऑफर आएंगे.
मैसेज में सैलरी के बारे में जानकारी दी गई होगी और उसके नीचे एक लिंक अटैच होगा. आपसे उसपर क्लिक कर संपर्क करने या फिर अपनी डिटेल भरने को कहा जाता है. इस तरह के मैसेज से आप पूरी तरह से सतर्क रहें. ये आपको नौकरी का झांसा देकर आपकी पर्सनल जानकारी हासिल कर लेते हैं और हो सकता है कि आप वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हो जाएं.
इस तरह के कॉल से रहें सतर्क
ग्रामीण इलाके के लोगों को कई बार फोन आता है कि आपका बैंक अकाउंट लकी ड्रॉ में सलेक्ट हुआ है. इसलिए आपको कुछ पैसे या फिर गाड़ी दी जा रही है. इसके लिए आपको अपना एटीएम कार्ड नंबर, पिन और सीवीवी बताना होगा. कई बार लोग इस तरह के लुभावने झांसे का शिकार हो जाते हैं. कॉल करने वाला खुद को बैंक का अधिकारी बतता है. अगर इस तरह का फ्रॉड किसी के साथ हो तो तुरंत इस बारे में अपने बैंक को सूचित करें.
तुरंत बैंक को सूचित करें
रिजर्व बैंक की 2017-18 की गाइडलाइन के अनुसार, धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने के बाद पैसे की निकासी जिम्मेदारी पूरी तरह से बैंक पर होती है. अगर प्रोसेस के हिसाब से कोई उपभोक्ता बैंक को सूचित नहीं करता है, तो बैंक उसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है. ऐसी स्थिति में बैंक पर रिफंड का नियम लागू नहीं होता है. इसलिए अगर किसी के साथ भी ऑनलाइन वित्तीय फ्रॉड होता है, तो उसे तुरंत अपने बैंक को सूचित करना चाहिए.
ये काम जरूर करते रहें
अगर आप नेटबैंकिंग और पेमेंट वॉलेट ऐप का इस्तेमाल करते हैं, तो लगातार अपने ईमेल और मैसेज बॉक्स को चेक करते रहें. इस तरह अगर आपकी जानकारी के बिना कोई ओटीपी जेनेरेट करता है, तो आपको पता चल जाएगा. कई बार मोबाइल पर आते नोटिफिकेशन के बीच इस तरह के मैसेज को हम नहीं देख पाते हैं.