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मिलावटी तेल खा रहे हैं एक-चौथाई लोग, विटामिन के नाम पर मिलाए जा रहे नशीले केमिकल

इस टेस्ट में ये भी पता चला कि खाने के तेल में विटामिन ए और विटामिन डी मिलाए जाने के दावे फर्जी हैं. इनकी जगह पर कंपनियों ने ऐसे केमिकल का तय मात्रा से अधिक इस्तेमाल किया, जो कई गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं.

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टेस्ट में फेल हुए एक चौथाई सैंपल
टेस्ट में फेल हुए एक चौथाई सैंपल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • खाने वाले तेलों के एक-चौथाई सैंपल मिलावटी
  • मात्रा से अधिक पाए गए नशीले रसायन

बाजार से खाने का तेल (Edible Oil) खरीदने वाले एक-चौथाई लोग हर रोज भोजन में जहर का सेवन कर रहे हैं. कंपनियां भले ही विटामिन ए (Vitamin A) से लेकर विटामिन डी (Vitamin D) तक होने के दावे कर देती हों, लेकिन टेस्ट करने पर इनमें मात्रा से अधिक नशीले केमिकल पाए गए हैं. यह टेस्ट किसी और ने नहीं बल्कि सरकारी फूड रेग्यूलेटर एफएसएसएआई (FSSAI) ने किए हैं.

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करीब एक चौथाई सैंपल स्टैंडर्ड से नीचे

एफएसएसएआई ने पिछले साल अगस्त में देश भर से खाने के तेल के 4,461 सैम्पल जुटाए. इन सैम्पलों में ब्रांडेड और खुले में बिकने वाले तेल दोनों शामिल रहे. नियामक ने सरसों तेल (Mustard Oil), नारियल तेल (Coconut Oil), पॉम ऑयल (Palm Oil), ब्लेन्डेड ऑयल (Blended Oil), सोयाबीन तेल (Soyabean Oil), राइस ब्रैन ऑयल (Rice Bran Oil), मूंगफली तेल (Ground Nut Oil) समेत खाने वाले 15 तेलों के नमूनों को टेस्ट किया. हैरान करने वाली बात रही कि इनमें से 1,080 नमूने यानी 24.2 फीसदी स्टैंडर्ड से नीचे पाए गए.

टेस्ट में मिले ऐसी बीमारियां पैदा करने वाले केमिकल

इस टेस्ट में ये भी पता चला कि खाने के तेल में विटामिन ए और विटामिन डी मिलाए जाने के दावे फर्जी हैं. इनकी जगह पर कंपनियों ने ऐसे केमिकल का तय मात्रा से अधिक इस्तेमाल किया, जो कई गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं. ज्यादातर नमूनों में Hydrocyanic Acid तय मात्रा से अधिक पाया गया. यह केमिकल मात्रा से अधिक होने पर सिरदर्द, सुस्ती, बेहोशी से लेकर नाक से खून निकलने तक का जिम्मेदार हो सकता है. नशीले असर वाले इस केमिकल को कई बीमारियों का जनक माना जाता है.

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विटामिन के नाम पर मिलाया जा रहा जहर

इसके अलावा Dimethylpolysiloxane और Tertiary Butylhydroquinone जैसे रसायन भी मात्रा से अधिक पाए गए. इन दोनों रसायनों का इस्तेमाल खाने वाले तेल की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में किया जाता है. यानी ये रसायन अधिक दिनों तक तेल को सही जैसा बनाए रखने में मददगार होते हैं, लेकिन मात्रा से अधिक इनका इस्तेमाल कई बीमारियों की वजह बन जाता है. एफएसएसएआई के इस टेस्ट में 572 यानी 12.8 फीसदी नमूने विटामिन ए या डी होने के बारे में गलत दावा करते पाए गए.

 

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